उज्जैन। उज्जैन-उन्हेल-नागदा-जावरा रोड पर टोल टैक्स वसूलने वाली कंपनी ने सरकार को 23 करोड़ 37 लाख रुपये का चूना लगाया है। फरवरी में कंपनी के निदेशक सुरेंद्र चंपालाल लोढ़ा और दीपक मनोहर कटकवार के खिलाफ नीलगंगा पुलिस ने धोधाखड़ी केस दर्ज किया था। पुलिस ने सुरेंद्र को नागपुर से गिरफ्तार कर लिया था। कोर्ट ने उसे छह दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा था। मंगलवार को रिमांड अवधि खत्म होने पर कोर्ट ने उसका सात दिन का पुलिस रिमांड और बढ़ा दिया है।
बता दें की एमपीआरडीसी ने 20 वर्ष की बीओटी परियोजना अंतर्गत उज्जैन-उन्हेल-नागदा-जावरा मार्ग टूलेन निर्माण करने का अनुबंध साल-2010 में मेसर्स टापवर्थ टोलवेज उज्जैन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से किया था। मार्ग का निर्माण जून-2013 में पूर्ण कर लिया गया था। कंपनी को निर्माण पश्चात चौपहिया, छह पहिया वाहन चालकों से टोल टैक्स वसूल करने का अधिकार दिया था। कंपनी का दायित्व था कि वह टोल टैक्स की राशि संयुक्त खाते में जमा कराए।
कंपनी ने राशि जमा की मगर बगैर अनुमति के स्वयं के विभिन्ना खातों में राशि ट्रांसफर कर ली। इससे शासन को नुकसान हुआ था। कंपनी के निदेशक सुरेंद्र चंपालाल लोढ़ा और दीपक मनोहर कटकवार के खिलाफ फरवरी में धारा 420 और 409 में केस दर्ज कराया था। 6 जून को पुलिस ने सुरेंद्र को नागपुर से गिरफ्तार कर लिया। 7 जून को उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे छह दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया था। रिमांड अवधि खत्म होने पर उसे दोबारा कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सुरेंद्र का रिमांड 20 जून तक बढ़ाया गया है।