भागलपुर न्यूज़: अमरपुर के डुमरामा के बड़ी पोखर में पौराणिक दीवार एवं पुरातात्विक अवशेष मिलने की खबर फैलते ही वहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. ग्रामीणों ने बताया कि डुमरामा के बड़ी पोखर का पानी से किसानों ने खेतों में पटवन किया तथा उसमें पड़े गाद को जेसीबी से निकालना शुरू किया.
तालाब में गड्ढा होने के बाद कुछ लोगों की नजर उसमें बने दीवार पर पड़ी. बड़े बड़े ईंटों से बनी दीवार को देख ग्रामीणों ने सावधानी से इसके चारों ओर खुदाई करने लगे. इसमें दीवार के आसपास कई पुरातात्विक अवशेष भी मिले. तालाब के नीचे बने दीवार में लगी ईंटें लखौड़ी तकनीक से बनाईं गई लगती है. बताया जाता है कि यहां मिली ईंट गुप्तोत्तर काल की हो सकती है. यह भी बताया गया कि 5वीं से 16वीं शताब्दी तक लखौड़ी तकनीक से ईंट का निर्माण किया जाता था. इस जगह पर बड़ी संख्या में मृदभांड भी मिले हैं जिसमें कलश, ईंट, नाद का टुकड़ा आदि मिले. हालांकि इन चीजों की पुष्टि जांच के बाद ही की जा सकती है. पुरातत्व के जानकार सीओ सतीश कुमार ने बताया कि तालाब में मिले अवशेषों को देख कर ऐसा लगता है कि यहां कभी सभ्यता रही होगी. उन्होंने डुमरामा को भदरिया से जोड़ते हुए कहा कि भदरिया में चांदन नदी में मिली दीवार एवं अवशेष भी इसी तरह के हैं. मालूम हो कि करीब तीन वर्ष पूर्व भदरिया गांव के समीप चांदन नदी में बौद्ध कालीन दीवार एवं पुरातात्विक अवशेष मिले थे. साहित्य में वर्णित है कि भगवान बुद्ध भदरिया आए थे. भदरिया में मिले अवशेषों की सूचना मिलने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां आए थे साथ ही पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की टीम भी आई थी. अब डुमरामा में पुरातात्विक अवशेष मिलने से क्षेत्र के लोगों ने इसकी जांच पुरातत्व विभाग से कराने की मांग की है.