इंदौर न्यूज़: स्कीम 114. इलाके में बरसों पहले बनाई गई इंदौर विकास प्राधिकरण की मल्टी में खुला मीटर बॉक्स दुर्घटना को निमंत्रण दे रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. स्कीम 114 पार्ट-2 में इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा सन् 2010 में तीन मंजिला नैनो मल्टी का अलॉटमेंट किया गया था. मल्टी के ग्राउंड में बिजली विभाग द्वारा डीपी के पास ही मीटर बॉक्स लगा दिया गया था. कुछ सालों तक तो ठीक-ठाक रहा, लेकिन बाद में ढक्कन टूट गए, जिसके बाद से इसे लावारिस छोड़ दिया गया. 2 वर्ष पहले अधिकतर लोगों के कनेक्शन डायरेक्ट डीपी से कर विद्युत सप्लाय किया जाने लगा, जिसके बाद से इस खुले बॉक्स की ओर ध्यान नहीं दिया गया.
वर्तमान में कुछ लोगों के इसी मीटर बॉक्स से बिजली सप्लाय की जा रही है. ग्राउंड फ्लोर पर बॉक्स होने के कारण अधिकतर लोगों का इधर से आना जाना रहता है, जो इसे खुला देखकर डर जाते हैं. सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे घबराते हैं. रहवासियों का कहना है कि आईडीए अधिकारियों ने फ्लैट खरीदने वालों को बिजली, पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं बेहतर उपलब्ध कराने का दावा किया था, लेकिन धरातल पर व्यवस्थाएं चाक-चौबंद नहीं है. यहां तक की शिकायतें भी की जा चुकी हैं, बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि नगर निगम से लेकर बिजली विभाग के अधिकारियों से भी सच्चाई छिपी नहीं है, बावजूद रहवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है.
बच्चों को खेलने में लगता है डर
मीटर बॉक्स खुला होने के कारण यहां रहने वाले बच्चों को खेलने में डर लगता है. रहवासियों को सबसे ज्यादा दिक्कत और अन्य छुट्टियों के दिन होती है, क्योंकि छुट्टी के कारण बच्चे खेलने के लिए सुबह से ही बाहर निकल जाते हैं. मीटर बॉक्स से सटा हुआ बड़ा रोड है, जिस पर छोटे बच्चे खेलते हैं. लोगों का कहना है कि फ्लैट बनाने वाला इंदौर विकास प्राधिकरण तो बेचकर चला गया और जिम्मेदार बिजली कंपनी के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं.
साढ़े तीन सौै से अधिक फ्लैट
तीन मंजिला इस मल्टी में साढ़े तीन सौ से अधिक फ्लैट हैं. आईडीए ने लॉटरी के जरिए ग्राउंड फ्लोर के फ्लैट 3 लाख, पहली मंजिल के 2 लाख 75 हजार तथा तीसरी मंजिल के ढाई लाख में बेचे थे. उस दौरान खरीदारों को कई सपने दिखाए गए थे, लेकिन बिकने के बाद आईडीए अधिकारियों ने ध्यान देना छोड़ दिया. बताया जा रहा है कि अधिकतर खरीदने वालों ने किराए पर फ्लैट दे दिए हैं जिस कारण बिजली कंपनी के अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.