भोपाल न्यूज़: गणित का नाम सुनते ही पसीना छूटने लगता है. बच्चे तो क्या, बड़े लोग भी इससे भागने लगते हैं. बच्चों को गणित पहाड़ जैसा लगता है, लेकिन इसे सरल किया है एक शिक्षक ने. उन्होंने लकड़ी, पत्थर और कंकर से बच्चों को गणित सिखाने के अनूठे प्रयोग किए हैं. इसके बेहतर परिणाम भी सामने आए हैं. शिक्षक को इसके लिए कई बार सम्मानित भी किया गया है. मुलताई ब्लाक के सोनोरा माध्यमिक स्कूल के शिक्षक नितिन पांडे ने बताया कि मूर्त रूप से अमूर्त रूप की ओर ले जाने वाले सिद्धांत पर वे बच्चों को पढ़ाई कराते हैं. इस सिद्धांत के अनुसार बच्चों में समझ बढ़ाना मुख्य उद्देश्य होता है. पांडे 17 वर्ष से शिक्षक हैं और करीब 10 साल से बच्चों को इसी तरह खेल-खेल में गणित पढ़ा रहे हैं. इस नए प्रयोग से बच्चों में गणित की रुचि बढ़ी है.
ऐसे सिखाते हैं
शिक्षक पांडे बच्चों को कंकर, पत्थर और लकड़ी की वस्तुएं बनाकर प्रायोगिक तौर से गणित के सवाल समझाते हैं. उन्हें जोड़ना, घटाना, गोले, शंकु, सरल रेखा, पूर्णांक, ऋणात्मक, धनात्मक ज्यामितीय, क्षेत्रफल, आयतन की जानकारी इन्हीं वस्तुओं के माध्यम से सिखाते हैं. विद्यार्थी जब सवाल करते हैं तो उन्हें लकड़ी के उपकरणों से प्रयोग करके दिखाते हैं. उन्हें स्कूल में चलाए जा रहे लर्निंग बेस पढ़ाई से यह आइडिया आया था.
शिक्षक पांडे ने बताया कि बच्चों को अब गणित बोझ नहीं लगता है. बच्चों को गणित पढ़ने के लिए अलग से ट्यूशन नहीं पढ़ता है. घर पर ही बच्चे गणित के सवाल हल कर लेते हैं. स्कूल में गणित विषय का रिजल्ट भी बेहतर है. पिछले साल बच्चों ने बोर्ड कक्षा होने के बावजूद ए प्लस में अंक हासिल किए थे. बच्चों की गणित में समझ बढ़ने की वजह से एक्सीलेंस स्कूल में भी उनका चयन हुआ है, यहां तक की सुपर-100 में भी उनके स्कूल के छात्र पहुंचे हैं.
शिक्षक पांडे का गणित पढ़ाने का अंदाज देखकर ही राज्य शिक्षा केंद्र ने उन्हें स्टेट रिसोर्स ग्रुप में शामिल किया है. वह खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए मास्टर ट्रेनर के रूप में नियुक्त किए हैं. शिक्षकों को भी गणित पढ़ाने का प्रशिक्षण देते हैं. शिक्षक पांडे ने बताया कि दिल्ली में हुई एक कार्यशाला में भी भाग ले चुके हैं, जिसमें प्रदेश से शिक्षक पांडे को शामिल किया था. यह गणित संबंधी कार्यशाला वर्ष 2018 में आयोजित की गई थी.