भविष्य में प्लेसमेंट न मिलने के डर से स्टूडेंट्स छोड़ रहे हिंदी माध्यम में पढ़ाई
भोपाल न्यूज़: विद्यार्थियों को मातृभाषा में पढ़ाई के लिए दो साल पहले हिंदी मीडियम में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की गई थी. तब 150 स्टूडेंट्स ने इसमें एडमिशन लिया था. लेकिन, दो साल बाद ही 82 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माध्यम बदलकर फिर अंग्रेजी चुन लिया. उन्हें डर था कि उनकी मार्कशीट में कहीं यह न लिख दिया जाए कि उन्होंने हिंदी मीडियम से पढ़ाई की है. इस वजह से उन्हें प्लेसमेंट मिलने में दिक्कत होगी. इसके अलावा विद्यार्थियों को समय से हिंदी मीडियम में कोर्स की किताबें नहीं मिल पायीं. कोर्स पिछड़ने की वजह से उन्होंने माध्यम बदल दिया.
हिंदी में इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढ़ाई अच्छी बात है. तमाम देशों में उनकी मातृभाषा में ही यह कोर्स पढ़ाए जाते हैं. लेकिन इससे पहले नींव मजबूत करने की जरूरत है. हिंदी में पढ़ाई के साथ प्लेसमेंट की भी व्यवस्था करनी होगी. हिंदी के पाठ्यक्रम में टेक्नीकल एजुकेशन से जुड़े कुछ ऐसे शब्द हैं, जिन्हें स्टूडेंट हिंदी में पढऩे में कठिनाई महसूस करते थे. उन्हें आसानी होगी. लेकिन सवाल है कि यदि पीजी करनी है या एमबीबीएस के स्टूडेंट को एमएस या एमडी या फिर डीएम करना है और चेन्नई में एडमिशन मिला तो क्या होगा. विदेश जाना है तो वहां हिंदी तो नहीं चलेगी. इसलिए पहले माहौल बनाना होगा.
सूबे में एमबीबीएस के छात्र बेहतर तरीके से कोर्स को समझ सकें इसके लिए उन्हें हिंदी में मेडिकल की किताबें मुहैया कराई जा रही हैं. प्रदेशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के 30 फीसदी बच्चों को हिंदी की किताबें बांटी गयी हैं. हालांकि, दाखिले के समय मीडियम का चुनाव छात्रों ने नहीं किया है. इसलिए एक ही प्रकार का बैच है. क्लास भी एक साथ लग रही है.
मैनिट डायरेक्टर केके शुक्ला भी कहते हैं कि इंजीनियरिंग की हिंदी में पढ़ाई को उतनी सफलता नहीं मिल पाई जितनी अपेक्षा थी. मैनिट में वर्ष-2020 में हिंदी में इंजीनियरिंग के लिए फर्स्ट ईयर में 150 स्टूडेंट ने एडमिशन लिया था, दो साल बाद इनमें सिर्फ 27 स्टूडेंट ही बचे हैं.
सबसे बड़ा डर...
एनईपी 2020 के तहत एनआइटी, आइआइआइटी एवं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सहित अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में बदलाव की जानकारी के लिए मैनिट में हुई बैठक में इन समस्याओं का जिक्र किया गया. खासकर विदेश में नौकरी पर आने वाली दिक्कतों पर बात की गयी.