महंगाई भत्ते के आदेश को लेकर कर्मचारियों ने जताई खुशी

Update: 2023-02-01 13:00 GMT

भोपाल न्यूज़: राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों को चार प्रतिशत महंगाई भत्ते की किस्त के आदेश जारी करने के निर्णय का कर्मचारियों ने स्वागत किया है. कर्मचारियों का कहना है कि इससे महंगाई के दौर में राहत मिलेगी, लेकिन कर्मचारियों ने इस बात पर आक्रोश जताया है कि जुलाई 2022 से दिसम्बर 2022 का कोई जिक्र नहीं है, अर्थात कर्मचारियों को छह माह का महंगाई भत्ते का एरियर मिलेगा या नहीं, इस संबंध में शासन की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं की है.

संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि 4% महंगाई भत्ता कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है, पहले केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता देने की बात कही बार कही गई है. लेकिन इस बार भी जुलाई 2022 से मिलने वाला महंगाई भत्ता जनवरी 2023 से प्रदान किया जा रहा है, जो कि न्यायोचित नहीं है, इससे प्रत्येक कर्मचारी को 6 महीने का आर्थिक नुकसान हुआ है. वहीं एक ओर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दी जा रही है जो हमारे साथ भेदभाव दर्शाता है.

नियमितीकरण की मांग और सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में अतिथि विद्वानों ने राजधानी के नीलम पार्क में एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया. धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों ने रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन पर जाई चौपाई भी पढ़ी. प्रदर्शन में पहुंचे अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पांडे ने बताय कि 2019 में जब शिवराज सिंह चौहान विपक्ष में थे, तब हमारे प्रदर्शन में आए थे. उन्हेांने तब कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है. हम टाइगर का इंतजार कर रहे हैं. मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के तहत मप्र में लगभग 528 शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं. इन सरकारी महाविद्यालयों में खाली पदों के विरुद्ध अलग-अलग विषयों के लगभग 4,425 अतिथि विद्वान कार्यरत हैं. इसके अलावा लगभग 350 अतिथि विद्वान फालन आउट हैं. यह रिक्त पदों पर पिछले कई वर्षों से शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कार्य के रूप में सेवाएं दे रहे हैं.

प्रदेश के कर्मचारियों के साथ भेदभाव: मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के संरक्षक रामनारायण आचार्य ने कहा कि इस बार भी छह माह का महंगाई भत्ते को लेकर शासन ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है. कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है, जबकि महंगाई की मार सबसे ज्यादा कर्मचारियों पर ही पड़ती है.

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