इंदौर: हाल ही में गठित 16वें वित्त आयोग को राज्यों में फ्री देने वाली योजना के बीच विकास की राह खोजना होगी। फ्री बांटने की योजनाओं से राजनैतिक लाभ जरूर मिलता है पर इसका प्रभाव योजनाओं के खर्च पर पड़ता है। इस आयोग को उत्तर और दक्षिण के राज्यों को लेकर उभर रहें मतभेद को दूर करने का रास्ता भी निकालना होगा। उक्त बातें शुक्रवार को डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा जाल सभागृह के बोर्ड रूम में आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए डॉ. गणेश कावड़िया ने कही।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डेवलपमेंट फाउंडेशन के ट्रस्टी आलोक खरे ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए बताया कि डेवलपमेंट फाउंडेशन के द्वारा इसके पूर्व 14वें और 15वें वित्त आयोग के समक्ष मध्य प्रदेश की आवश्यकता को लेकर विस्तृत जानकारी प्रस्ताव के रूप में दी गई थी। इसका परिणाम यह हुआ कि इन दोनों वित्त आयोग के द्वारा मध्य प्रदेश को अधिक धनराशि आवंटित करने की अनुशंसा की गई।
सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पैसे की मांग से पूरे प्रदेश का विकास
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के विभागाध्यक्ष डॉ. कन्हैया आहूजा ने कहा कि हम वित्त आयोग के समक्ष इंदौर में नर्मदा के पानी को लाने में खर्च होने वाली बिजली के पैसे के लिए मांग रख सकते हैं। इसके साथ ही शहरी अधोसंरचना विकास का पैसा भी हम वित्त आयोग से मांग सकते हैं। उन सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भी पैसे की मांग की जा सकती है जिससे पूरे प्रदेश का विकास हो। मध्य प्रदेश शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। हमें इस समस्या को उठाना होगा और इसके समाधान के लिए वित्त आयोग से पैसे की मांग की जाना चाहिए।