भोपाल न्यूज़: मध्यप्रदेश जेहादी संगठनों के निशाने पर है. आतंकी संगठनों ने प्रदेश के मुख्य शहरों भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर में पैर जमाने की कवयाद शुरू कर दी. 9 मई को भोपाल के ऐशबाग और शाहजहांनाबाद क्षेत्र से पकड़े गए दस और छिंदवाड़ा से दबोचे गए एक संदिग्ध आतंकी से पूछताछ में हिज्ब-उत-तहरीर संगठन के मंसूबों का खुलासा हुआ है. छोटे विवादों को बड़ा बनाना और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में वारदात को अंजाम देना इनका मंसूबा है. भोपाल को केंद्र बनाकर आसपास के जिलों समेत मालवा-निमाड़ के युवाओं को टारगेट में रखा है.
बता दें कि एसटीएफ और एनआइए की संयुक्त कार्रवाई में भोपाल-छिंदवाड़ा के अलावा हैदराबाद से पकड़े गए पांच संदिग्ध जेल में हैं. एनआइए इन सभी से पूछताछ कर रही है. ये पहला मौका नहीं है, जब मप्र या भोपाल में जेहादी गतिविधियों को चलाने वाले संगठनों के लोग पकड़ाए हैं. इससे पहले 13 मार्च को बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन (जेएमबी) के चार गुर्गे पकड़ाए थे.
आतंकी मॉड्यूल और उनके मंसूबे
1. शॉर्ट टर्म रिएक्शन: भीड़ में रहकर छोटे-छोटे विवादों को धार्मिक रंग देना और इन्हें बढ़ा बनाना. तोड़-फोड़ में अधिक लोगों को शामिल कराना. घटना का एडिटेड वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करना.
2. लॉन्ग टर्म स्ट्रेटजी: बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए स्लीपर सेल को एक्टिव करना. सार्वजनिक स्थलों पर बम विस्फोट या ऐसी ही हिंसक कार्रवाई करना. स्लीपर सेल में युवाओं को शामिल करने का इरादा.
1. बस्तियों में ठिकाना
आतंकी संगठनों के कारिंदे धार्मिक शिक्षक या विद्यार्थी के रूप में घनी बस्तियों में ठिकाना बनाते हैं. धार्मिक स्थलों पर लोगों से मेल-जोल बढ़ाने के बाद उन्हें अपनी विचारधारा में ढालने के लिए स्थानीय और देश व्यापी मुद्दों को बताया जाता है जो सांप्रदायिकता को बढ़ाते हैं. इसे पुष्ट करने घटनाओं से संबंधित एडिटेड वीडियो भी दिखाए जाते हैं.
2. लोकल फंड कलेक्शन
संगठन की गतिविधियों को चलाने के लिए आतंकी संगठन के लोग आसपास क्षेत्रों में ऐसे लोगों को चिह्नित करते हैं, जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं. शुरुआत में कम आर्थिक मदद तो बाद में इसे बढ़ाकर लिया जाता है. बता दें, जमात-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकियों के पास हवाला के जरिये भी फंडिंग की जाती थी.