Damoh : ठेकेदार ने लापरवाही छिपाने डाल दी मिट्टी, अमवाही तक हो रहा निर्माण

Update: 2024-06-16 09:54 GMT
Damoh दमोह : दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक में पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा हर्रई से अमवाही तक सड़क निर्माण किया जा रहा है, जिसमें अनियमितता बरती जा रही है। जब एक करोड़ से अधिक राशि के सड़क निर्माण की पोल खुली तो ठेकेदार ने मिट्टी डलवा दी। लेकिन इसके पहले राहगीरों ने मीडिया के पास जानकारी भिजवा दी। मामला उजागर होने के बाद अधिकारी कार्रवाई की बात कह 
तेंदूखेड़ा ब्लाक के हर्रई से अमवाही तक पीडब्लूडी विभाग द्वारा सड़क निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें ऊपर डामलीकरण होना था, साथ ही इस मार्ग में एक नये छोटे आकर का पुल भी शामिल था। निर्माण के समय सड़क बनाई गई डामलीकरण कार्य हुआ, लेकिन पुल निर्माण और पट्टी निर्माण में ठेकेदार ने वैसा कार्य नहीं किया जैसा होना था। सड़क के दोनों ओर पट्टी बनाते समय ठेकेदार ने मुरम की जगह मिट्टी डालकर पट्टी बना दी जो बारिश के दिनों में राहगीरों और वाहनों के आवागमन के समय मुसीबत बनेगी। इसके आलवा जो पुल निर्माण किया गया है उसमें भी कमियां है जो साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
धंस गया पुल का एक कोना
अमवाही गांव में प्रवेश करते समय छोटी पुलिया थी, जिस पर अब पुल का निर्माण हो रहा है। वर्तमान में यहां भी ग्रामीणों को निकासी नदी से चालू की गई है जो पुल बनाया गया है वह पूर्ण हो गया है, लेकिन उसका एक भाग धंस गया है जिसके कारण पुल की दीवालों का मुख्य मार्ग से सम्पर्क टूट गया है। निर्माण कार्य करने बाले कर्मचारियों ने इस गलती को छुपाने के लिए ऊपर से मिट्टी डाल दी, लेकिन जब राहगीरों ने देखा तो सूचना मीडिया को दी। निर्माण कार्य कर रहे कर्मचारियों से बात की तो उनका कहना है पुल का एक हिस्सा बैठ गया है उसका सुधार कार्य शीघ्र कराया जायेगा और बारिश के पूर्व से आवागमन शुरू हो जायेगा।
मिट्टी पर फिसलेंगे वाहन
मार्ग का निर्माण दमोह जबलपुर मार्ग पड़ने वाले गांव हरई से लेकऱ रामादेही, अमवाही तक होना था। पक्की सड़क निर्माण के बाद सड़क के दोनों और ठेकेदार को मुरम की पट्टी बनानी थी, लेकिन ठेकेदार ने यह पट्टी बनाई, लेकिन मुरम की जगह मिट्टी डाली है। इस पट्टी निर्माण में कहीं इसकी चौड़ाई ज्यादा कर दी है तो कहीं कम, कहीं ढलान कर दिया है तो कहीं समतल। जिसको लेकर ग्रामीणों का आरोप है कि मुरम की जगह मिट्टी डालने के बाद अब बारिश में वाहन फिसलेंगे और कर्मचारियों ने इधर उधर से खुदाई करके मिट्टी उठाई है। जबकि निर्माण कार्य की लागत एक करोड़ से अधिक है। इतने बड़े निर्माण कार्य में शासकीय जगह की ठेकेदार को मंजूरी लेनी पड़ती है।
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