रायसेन। रेत, गिट्टी, सीमेंट, ईंट, सरिया सहित तमाम भवन सामग्री वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ने से घर बनाना अब आसान नहीं है। मजदूरी की राशि भी दो साल में डबल हो गई है। मुंहमांगी राशि देने बावजूद मजदूर नहीं मिलने की समस्या भी है। स्थिति यह है कि जिस अनुमानित बजट में मकान बनना शुरू होता है, मकान बनते-बनते वह ओवर बजट हो जाता है। महंगाई से हर व्यक्ति परेशान है।पिछले दो साल में निर्माण सामग्री की कीमतों में 30 से 40% की बढ़ोतरी हुई है। पहले 200 रुपए वर्गफीट के हिसाब से ढांचा तैयार हो जाता था। लेकिन अब ठेकेदारों को यह कीमत फायदे का सौदा नहीं लग रही है। ठेकेदार मोहर सिंह ठाकुर गोपालपुर सुनील नाथ मनीष नामदेव ने बताया कि पहले कारीगर 500 तो मजदूर 300 रुपए रोज में मिल जाते थे। अब कारीगर 600 और मजदूर 400 रुपए ले रहे हैं। इससे 300 रुपए वर्गफीट से कम में काम नहीं हो पाता है। इतनी मजदूरी देने के बाद भी कारीगर और मजदूर नहीं मिल रहे हैं।
कोरोना के बाद नहीं लौटे फर्नीचर के कारीगर.....
मकान बनाने के बाद हर शख्स फर्नीचर तैयार कराता है। ठेकेदार यह काम प्रतिशत से करते हैं। सामग्री की कीमत से 35 फीसदी उनकी मजदूरी होती थी, लेकिन अब 40 फीसदी हो गई है। ठेकेदार सत्यनारायण धाकड़ गोपी बंजारा के मुताबिक, कोरोना से पहले बिहार व यूपी के दिहाड़ी मजदूर कारीगर बड़ी संख्या में थे। वे लौटकर नहीं आए। उन्हें वहीं काम मिल गया। इससे कारीगरों की समस्या हो गई है। वे ज्यादा दाम मांग रहे हैं। प्लायवुड व लकड़ी से लेकर फर्नीचर में लगने वाली वस्तुओं की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है।