धर्म परिवर्तन मामला: हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार
इंदौर न्यूज़: धर्म परिवर्तन को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून पर रोक लगाने के मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. मामला मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत अनिवार्य रूप से अन्य धर्म में परिवर्तित होने से पहले डीएम को 60 दिन पूर्व सूचना देने से जुड़ा है. ऐसा नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है. इसे असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में पारित आदेश में रोक लगा दी थी.
आदेश को मप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि वह सात फरवरी को रोक पर विचार करेगा. नोटिस जारी कर दिया है. इस दौरान एसजी तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन बेंच ने कहा कि शादी या धर्मांतरण पर कोई रोक नहीं है. जिला मजिस्ट्रेट को सूचित किया जा सकता है, दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई गई है.
बताया था असंवैधानिक: मप्र हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को ऐसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया था, जो धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 की धारा 10 का उल्लंघन करता है. इस धारा के तहत धर्म परिवर्तन करने के इच्छुक व्यक्ति को जिलाधिकारी को घोषणा पत्र देने की जरूरत होती है. कोर्ट ने इस प्रावधान को प्रथम दृष्टया असंवैधानिक पाते हुए सरकार को निर्देश दिया कि यदि वे अपनी इच्छा से विवाह करते हैं तो वयस्क नागरिकों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा.
यह तर्क दिए थे: हाई कोर्ट के समक्ष तर्क दिया गया था कि धर्म का खुलासा या धर्म बदलने का इरादा, जैसा कि अधिनियम की धारा 10 के तहत अनिवार्य किया गया है , सांप्रदायिक तनाव का कारण बन सकता है. अधिनियम के अनुसार धर्मांतरण से पहले पूर्व सूचना की आवश्यकता एक नागरिक के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है.