किसानों में डीएपी यूरिया खाद और बीज के लिए मची होड़, व्यवस्था में खामियां आई सामने

Update: 2024-05-25 12:45 GMT
रायसेन। कृषि उत्पादन आयुक्त की समीक्षा बैठक में ये तथ्य सामने आया कि जिले के किसान मुख्यतः यूरिया एवं डीएपी उर्वरकऔर बीज का ही उपयोग करते हैं। इससे पोटाश तत्व की कमी होने से उत्पादन प्रभावित होने साथ मिट्टी की उर्वरता नुकसान हो रहा है।नकतरा आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद नकतरा के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्निल दुबे ने मक्का फसल में प्रति एकड़ दो से तीन बोरी यूरिया का ही उपयोग करने की सलाह दी है।
खरीफ सीजन की तैयारी में किसानों में डीएपी और यूरिया खाद और बीज का इंतजाम करने की होड़ लगी है। रायसेन सोसाइटी के बाहर किसानों की कतार नजर आ रही है। कहीं-कहीं वितरण सिस्टम की खामी से किसान दुखी हैं। अब तक साँची सलामतपुर गैरतगंज बेगमगंज बाड़ी में किसानों के प्रदर्शन हो चुके हैं। प्रशासन से हर सोसाइटी के वितरण में कृषि कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की अपेक्षा की जा रही है।
रायसेन जिले में मानसून सहीं समय पर आने की घोषणा मानसून विभाग ने की है। इस हिसाब से किसान मान रहे हैं कि रायसेन में मानसून 15 से 20 जून तक पहुंच जाएगा। इसे देखते हुए वे खेतों को तैयार करने, खाद-बीज का इंतजाम करने में जुटे हैं। सोसाइटी में इस समय परमिट में खाद वितरण हो रहा है। इससे नकदी खाद प्राप्त करने वाले किसानों को खाद उपलब्ध न होने की समस्या सामने आ रही है। कृषि विभाग और प्रशासन पूरे जिले में ऐसी कार्ययोजना तैयार करें, तो सोसाइटी में होने वाले विवाद और झगड़े को टाला जा सकता है।
कृषि विभाग के मुताबिक जिले में इस समय यूरिया 60500 मीट्रिक टन, डीएपी 6100 मीट्रिक टन, एनपीके 5369 मीट्रिक टन, सिंगल सुपर फास्फेट 13023 मीट्रिक टन तथा पोटाश 2975 मीट्रिक टन मात्रा में उपलब्ध है। कलेक्टर ने महाप्रबंधक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को प्रत्येक सहकारी समिति में यूरिया के साथ डीएपी या एनपीके कॉप्लैक्स उर्वरक का अनिवार्यत: भंडारण और किसानों को उर्वरकों का वितरण सुनिश्चित करने निर्देशित किया है।
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