बेगमगंज में चल रहा कच्चे बिलों पर करोड़ों का सराफा कारोबार, GST जोड़कर वसूल रहे है पैसा
Raisen रायसेन। यदि आपने कोई सोने का आभूषण खरीदा है और उसके बिल पर स्टीमेट लिखा है तो सावधान हो जाइये। कहीं आपके आभूषण भी तो मिलावटी सोने के नहीं है। बेगमगंज तहसील में सराफा व्यापारी स्टीमेट को असली बिल बताकर ग्राहक को दे रहे हैं। इसी स्टीमेट के बिल पर करोड़ों का सराफा कारोबार चल रहा है। ऊपर से 3% जीएसटी एवं बने हुए आभूषणों पर बनाई 12 प्रतिशत जोड़कर ग्राहकों को चूना लगा रहे हैं ।ऐसी जनचर्चा चल रही है कि रायसेन सिटी में भी कुछ सराफा व्यापारियों द्वारा जीएसटी बिलों में हेराफेरी और चोरी का बड़ा खेलकिया जा रहा है। यदि कोई सभ्य जागरूक ग्राहक सर्राफा व्यापारियों से पक्का बिल मंगता है तो व्यापारियों द्वारा बहुत ज्यादा हुज्जत के बाद अलग से 3% जीएसटी जोड़कर बिल दिया जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला बेगमगंज में मीडियाकर्मी उत्तम सिंह ठाकुर के साथ शाम को घटित हुआ । उन्होंने आरोप लगाया है कि पुराना बस स्टैंड स्थित उदय आभूषण भंडार के प्रो. सुनीत कण्ड्या के द्वारा उन्हें चांदी की बिछुड़ी क्रय करने पर एक बिना जीएसटी नम्बर वाला फर्जी बिल आकृति ज्वेलर्स प्रो. सुलभ कण्ड्या ( मोनू ) के नाम से 880 रुपए का बनाकर दिया गया । जब खरीदार दयांश ठाकुर पिता उत्तम सिंह श्यामनगर बेगमगंज ने बिछुड़ी के वजन के अनुसार ज्यादा पैसे लेने ओर जीएसटी गलत लगाने की बात कहीं ।तो सराफा व्यापारी कण्ड्या ने हुज्जत करना शुरू कर दी ।
विवाद बढ़ने पर उन्होंने घबराहट में दूसरा जीएसटी वाला बिल उदय आभूषण भंडार ने नाम बनाकर दे और पैसे वापिस करने लगे ।लेकिन खरीदार ठाकुर ने पैसे नहीं लेकर जीएसटी कमिश्नर एवं सेंट्रल एक्साइज विभाग सहित पुलिस को आवेदन देकर जीएसटी चोरी करने एवं असली संस्थान उदय आभूषण भंडार प्रो. सुनीत कण्ड्या की जगह एक ओर फर्जी संस्थान आकृति ज्वेलर्स प्रो. सुलभ कण्ड्या के नाम से कच्चे बिल जिस पर स्टीमेट छपा है वो बनाकर सोना -चांदी खरीदने वाले ग्राहकों को दिए जाते हैं और बराबर अभी भी दिए जा रहे हैं । इसके अतिरिक्त सराफा व्यवसायी दो -दो तोल कांटे रखें हुए । एक तौल कांटे से सोना -चांदी के वो पुराने आभूषण तौले जाते हैं जो ग्राहक उन्हें बेंचते है ।जबकि आभूषण खरीदने वालों के लिए दूसरा तौल कांटा रखा तो उससे तौलकर उन्हें दिए जाते हैं ।
इसके अतिरिक्त लगभग सभी सराफा व्यापारियों की दुकानों पर कमोवेश यही गोरखधंधा चल रहा है। सेंट्रल एक्साइज विभाग एवं जीएसटी विभाग के द्वारा आज तक इनकी जांच नहीं की गई और ना ही इन पर अंकुश नहीं लगाया गया । वहीं नगर में इन दिनों स्वर्ण आभूूषणों में मिलावट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर स्टीमेट के बिल, कच्ची रसीद पर सोने के आभूषण बेचने वाले व्यापारी वर्षो पहले बेचे गए । अपने माल को स्वयं पहचानने से भी इंकार कर देते हैं। ऐसी स्थिति में सराफा व्यापार से सरकार को मिलने वाले टैक्स पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
अब दूसरी ओर फर्जी बिल और स्टीमेट बिल के मामले भी सामने आने लगे हैं। जबकि वाणिज्य कर अधिनयम के अनुसार स्टीमेट का बिल देना अवैध तरीका है। इस प्रकार कारोबार कर इनपुट टैक्स की चोरी की जाती है ।क्योंकि यदि पक्का बिल दिया जाए तो सरकार को आय प्राप्त होगी, लेकिन स्टीमेट के बिल या कच्ची रसीद के बदले बड़े स्तर पर टैक्स चोरी की जा रही है।
इनका कहना है :-
इस संबंध में उदय एवं आकृति आभूषण भण्डार के प्रो. सुलभ कंडया का कहना है कि उन्हें पहले कच्चा बिल दिया था। ।फिर उनके द्वारा पक्का बिल मांगा गया। पक्के बिल पर अलग से तीन प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है और आभूषण की बनवाई भी अलग से ही देना पड़ती है। बिल में काटछांट इसलिए है कि उसे डबल से सुधार करके दिया है।
पीड़ित ग्राहक उत्तम सिंह ठाकुर का कहना है कि उनके द्वारा पैसे ज्यादा लिए जा रहे हैं । कच्चे बिल से जीएसटी की चोरी की जा रही है ।इनकी शिकायत जीएसटी विभाग , पुलिस एवं सेंट्रल एक्साइज विभाग को की है । कार्रवाई नहीं होने की दशा में हम हाईकोर्ट जबलपुर में रिट भी लगाएंगे ।