अंतरिक्ष अनुसंधान में आईआईटी इंदौर के लिए बड़ा मौका: पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवन बने आईआईटी बोर्ड के अध्यक्ष
बिहार | पटना में रिवर क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु रो पैक्स वेसेल के परिचालन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. पैसेंजर के साथ ट्रायल रन पूरा कर लिया गया है. आगामी सप्ताह में आम पर्यटकों के लिए इसका परिचालन शुरू कर दिया जाएगा. पर्यटन निदेशक विनय कुमार राय तथा महाप्रबंधक अभिजीत कुमार की अगुवाई में पर्यटन विभाग और पर्यटन विकास निगम की टीम ने ट्रायल रन पूरा किया.
पर्यटन विकास निगम ने पर्यटकों के लिए दर का निर्धारण कर दिया गया है. महाप्रबंधक ने बताया कि बिहार राज्य टूरिस्ट डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने रो पैक्स वेसल की दर तय कर दी है. पर्यटन विभाग ने सात स्लैब बनाए हैं. तीन सौ रुपए से लेकर एक लाख 50 हजार रुपए तक किराया तय किया गया है. जनार्दन घाट पर परिचालन हेतु टिकट काउंटर से पर्यटकों के लिए टिकट कटाने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. एक पर्यटक को 45 मिनट तक परिभ्रमण के लिए 300 रुपए देना होगा. यदि कोई परिवार या ग्रुप पूरे रोपैक्स को बुक करा सकता हैं. इसके लिए प्रति घंटा 30 हजार रुपए चुकाना होगा.
2 घंटे के लिए 50 हजार रुपए, तीन घंटे के लिए 75 हजार रुपए, 4 घंटे के लिए 1 लाख रुपए, 6 घंटा के लिए 1 लाख 25 हजार रुपए और 8 घंटे के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए किराया देना होगा. इस क्रूज का परिचालन शुरू होने से गंगा नदी में जल पर्यटन बढ़ेगा.
जल पर्यटन को हुआ करार
पर्यटन विभाग और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के बीच के क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु विगत दिनों पर्यटन विभाग और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के बीच करार हुआ था. एमओयू के मुताबिक 300 पर्यटकों की क्षमता वाले जलयान (रो पैक्स वैसेल) का परिचालन किया जाएगा. पटना में जर्नादन घाट, दीघा, पटना से कंगन घाट, पटना सिटी के बीच इसका परिचालन होगा.मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख और डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के पूर्व सचिव डॉ. के. सिवन को आईआईटी बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। डॉ. सिवन वर्तमान चेयरमैन डॉ. दीपक फाटक का स्थान लेंगे। बताया जा रहा है कि वे जल्द ही कार्यभार ग्रहण करेंगे।
खास बात यह है कि आईआईटी इंदौर ने इसी साल बीटेक स्पेस टेक्नोलॉजी शुरू किया है और स्पेस साइंस में रिसर्च चल रही है। ऐसे में डॉ. सिवन के स्पेस और एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लंबे अनुभव का लाभ आईआईटी को मिलेगा।
डॉ. सिवन की एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता है। वे साल 1982 में पीएसएलवी कार्यक्रम के साथ इसरो से जुड़े थे। उनके मार्गदर्शन में डिजाइन और मिशन सिम्युलेशन को विकसित करने में तेजी आई थी। उन्होंने स्पेस साइंस व इंजीनियरिंग में रिसर्च के साथ एजुकेशन पर भी जोर दिया। इंदौर आईआईटी भी इस संभावना पर कार्य कर रही है।