Bhopal : सो रही छह साल की मासूम को सांप ने डसा, दो दिन तक नहीं आया होश

Update: 2024-06-23 13:17 GMT
Bhopal  भोपाल : बारिश का मौसम शुरू होते ही सर्प, बिच्छू जैसे जहरीले जीव दिखने लगते हैं। कई बार लोगों को काट लेते हैं, जिसके बाद लोग झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि ऐसी घटना घटने ही तुरंत अस्पताल पहुंच जाएं तो मरीज को बचाया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा क्षेत्र में रहने वाली 6 वर्ष की मासूम बच्ची को 16 जून सुबह लगभग 4 बजे सोते समय बाएं पैर में जहरीले सर्प ने डस लिया। जिसके बाद बच्ची को कस्तूरबा अस्पताल में ले गए, जहां सुविधा के अभाव में निजी अस्पताल रोशन में रेफर कर दिया गया। यहां भी ठीक से इलाज नहीं हो रहा था तो परिजनों ने तुरंत हमीदिया अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया। तब तक बच्ची काफी सीरियस हो चुकी थी। हमीदिया अस्पताल पहुंचते ही बच्ची को वेंटिलेटर में रखा गया और अस्पताल की टीम ने बच्ची का इलाज शुरू कर दिया। दो दिन तक बेहोशी की हालत में बच्ची को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। इसके बाद धीरे-धीरे बच्ची ठीक होने लगी अब बच्ची लगभग ठीक है,
हालांकि अभी अस्पताल में भर्ती है।
बच्ची के मामा अक्षय सिंह चौहान ने अमर उजाला से बात करते हुए बताया कि कस्तूरबा अस्पताल की अव्यवस्था के चलते बच्ची को सीरियस कंडीशन में हमीदिया अस्पताल ले जाना पड़ा। अगर समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते तो बच्ची की जान जा सकती थी। हालांकि कस्तूरबा अस्पताल के स्टाफ ने काफी समय बर्बाद किया और कुछ इलाज भी नहीं किया। उन्होंने हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों का आभार व्यक्त किया है।
अत्यंत गंभीर स्थिति में बच्ची पहुंची थी अस्पताल
हमीदिया अस्पताल के सीनियर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश टिकट ने बताया कि बच्ची को अत्यंत गंभीर स्थिति (रेसपीरेटरी फेलियर) एवं अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण के साथ हमीदिया अस्पताल के शिशु रोग विभाग में लाया गया था। बच्ची की हालत अत्यंत गंभीर होने के चलते पीडियाट्रिक आईसीयू में भर्ती कर तत्काल उचित इलाज दिया गया। बच्ची को एंटी स्नेक वेनम एवं अन्य जीवनरक्षक दवाइयों के साथ वेंटिलेटर पर लगभग 4 दिन सपोर्ट दिया गया।
किडनी पर भी पड़ा था असर
डॉ. राजेश टिक्स ने बताया कि जहरीला सर्प काटने के कारण बच्ची के अन्य अंग जैसे किडनी पर भी गंभीर असर हुआ। हिमेटोलॉजिकल समस्याएं जैसे कि डीस्सेमिनेटेड इंट्रावेस्कुलर कोएगुलेशन भी होने लगा था। हमीदिया के शिशु रोग विभाग की टीम की गहन निगरानी एवं उचित इलाज द्वारा बच्चे की स्थिति धीरे-धीरे सुधरने लगी एवं सर्पदंश के दुष्प्रभाव से बच्ची बाहर आ गई।
दो प्रकार के होते हैं सर्पदंश, झाड़ फूंक से रहें दूर
डॉ. राजेश टिक्स ने बताया कि मॉनसून के सीजन में सर्पदंश की अनेक घटनाएं देखने को मिलती हैं, मुख्यतः जहरीले सर्पदंश दो तरह के होते हैं जिनमें न्यूरोलॉजिकल लक्षण एवं हिमेटोलॉजिकल लक्षण देखे जाते हैं। एक मरीज में दोनों लक्षण होने पर स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है। इस मरीज में दोनों तरह के लक्षण के होने के साथ ही मल्टी ऑर्गन पर असर भी था जिसका इलाज समय रहते हमीदिया अस्पताल में लाने पर संभव हो पाया। अक्सर लोग झाड़ फूंक के चक्कर में देर कर देते हैं, जिससे कि परिणाम विपरीत हो जाते हैं। अतः सर्पदंश की स्थिति में मरीज को तुरंत पास के अस्पताल में ले जाना चाहिए।
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