संविदाकर्मियों के हवाले बाल भवन

Update: 2023-02-07 06:38 GMT

भोपाल न्यूज़: प्रदेश के बाल भवन रामभरोसे ही चल रहे हैं. राजधानी भोपाल के बाद वर्ष 2007-08 में शुरू हुए छह बाल भवनों के लिए स्टाफ का सेटअप बनाया गया था. इसमें प्रत्येक केंद्र में 4 अनुदेशक यानी कला शिक्षक और 2 संगतकार के पद स्वीकृत किए गए हैं. इस तरह नियमित पदों पर 24 अनुदेशक और 12 संगतकार रखने थे. इनके अभाव में विशेषज्ञों का पैनल बनाकर हर साल उनमें से संविदा आधार पर अनुदेशक और संगतकार रखने की व्यवस्था कायम की गई. राजधानी स्थित जवाहर बाल भवन में केजी त्रिवेदी का निधन हो गया. संगीत विधा की अनुदेशक निर्मला उपाध्याय सेवानिवृत्त हो चुकी हैं.

अन्य 6 शहरों के बाल भवनों में संविदा पर स्टाफ है. हद ये है कि इनकी संख्या भी पूरी नहीं है. कहीं तीन तो कहीं चार संविदाकर्मी कला शिक्षक और संगतकारों से काम चलाया जा रहा है. संभागीय मुख्यालय वाले सातों जिलों के बाल भवनों का मुख्यालय भोपाल के जवाहर बाल भवन में है, जिसका जिम्मा विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. उमाशंकर नागायच के पास है. अन्य शहरों में बाल भवनों का प्रभार सहायक संचालक स्तर के अधिकारियों के हवाले है.

था टीपुर के मयूर नगर में बाल भवन 15 साल से किराए के भवन में है. बाकी शहरों के बजाय यहां संयुक्त संचालक कार्यालय बाल भवन परिसर में नहीं, वहां से 5 किलोमीटर दूर मोती महल में है. बाल भवन में बच्चों की सुरक्षा के लिए न सुरक्षा गार्ड हैं और न कैमरे लगे हैं. पेयजल व्यवस्था के लिए वाटर कैन बुलाई जाती है. तीन माले के भवन में आठ कमरों की सफाई व्यवस्था ठेके पर है. ग्रांउड नहीं है, ऐसे में विभिन्न गतिविधियां क्लासरूम में ही होती हैं.

क मला नेहरू नगर में बाल भवन के लिए निजी भवन किराए पर लिया है. जगह की कमी है. वर्ष 2007 से मार्च 2019 तक संभागीय बाल भवन महाकौशल स्कूल परिसर में किराए पर चला करता था. कोरोना काल की शुरुआत में इसे कमला नेहरू नगर में शिफ्ट किया गया. इतना समय गुजरने के बाद भी पुराने कार्यालय से निकाले गए तीन कैमरे अलमारी में धूल खा रहे हैं. सुरक्षा के लिए गार्ड नहीं हैं. ऐसे में नियमित रूप से कार्यरत चपरासी दिन में सुरक्षा व्यवस्था देखते हैं.

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