भोपाल न्यूज़: बेमौसम ओलावृष्टि व बारिश ने जहां किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वहीं फल-सब्जियों और अन्य फसलों को भी बड़ा नुकसान होने का अंदेशा है. देश के उत्पादकों का कहना है कि ओलावृष्टि से उत्पादन व आवक दोनों पर असर आएगा. फल- सब्जियों के दाम पर भी असर देखने को मिलेगा. हालांकि अभी सब्जियों के भाव काबू में है लेकिन नवरात्र की मांग को देखते हुए फलों में तेजी की सुर्खी है.
25 प्रतिशत फसल को नुकसान: बिगड़े मौसम एवं ओलावृष्टि से करीब 25 प्रतिशत फसल खराब हो गई है. इनमें गेहूं, चना, सरसों, आम, संतरा, पपीता से लेकर हरी सब्जियां शामिल है. राज्य में सरसों और चना, मसूर की कटाई चल रही है. जहां गेहूं की फसल खेतों में खड़ी है, उनको और कटकर खेतों में पड़ी हुई है. हालांकि वर्ष 2018 में भी मार्च माह में ओलावृष्टि हुई थी, उसकी तुलना में ज्यादा ओलावृष्टि नहीं हुई, यह राहत की बात है, लेकिन मौसम जल्द साफ नहीं हुआ तो नुकसान हो सकता है. अमरेन्द्र मिश्रा, कृषि एक्सपर्ट
गेहूं की भाव भी हो सकते हैं प्रभावित:
इ स साल जनवरी में गेहूं की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी. इसे काबू में करने के लिए सरकार ने 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का फैसला किया था. समय से पहले तापमान बढऩे से गेहूं किसान पहले ही चिंता में थे और अब बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है. इससे गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.
क्या कहते हैं कारोबारी:
थो क फल कारोबारी संतोष गुप्ता ने बताया कि नवरात्रि के पूर्व फलों की मांग तो बढ़ी है लेकिन ओलावृष्टि से फलों की आवक पर असर हो सकता है. सीजनल फल अंगूर, पपीता, केला, संतरा के भावों में तेजी है.
कृ कृषक भागीरथ पाटीदार कहते हैं कि मौसम में आए बदलाव से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया. ओलावृष्टि से कई क्षेत्रों मेें फसल आड़ी हो गई है. इससे उत्पादन पर असर आएगा. गेहूं-चना, मसूर, सरसों की क्वालिटी पर भी असर दिखेगा.
भो पाल ग्रेन एंड ऑयल मर्चेन्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन बताते हैं कि गेहूं की कीमत जनवरी माह की तुलना में 30 से 35 फीसदी नीचे आ गई थी. बिगड़े मौसम ने व्यापारी वर्ग को चिंता में डाल दिया है.