खरीदी के बाद लगे या नहीं एजेंसियां नहीं करती हैं जांच, हरियाली के लिए पौधे मंगाए
भोपाल न्यूज़: शहर में हरियाली के नाम पर नर्सरी में पौधे तो तैयार हुए लेकिन ये कहां लगे इसका सही विवरण नहीं रखा जा रहा है. ऐसे में कुछ स्थानों पर बिना रोपे ही पौधों को छोड़ा जा रहा है. यह हकीकत दो स्थानों पर सामने आई. सड़क किनारे पौधों का ढेर लगा हुआ
था. जिसमें कई नष्ट हो चुके थे.
राजधानी में नगर निगम, वन विभाग और पीडब्ल्यूडी की नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं. यहां से पौधारोपण के लिए इनका वितरण होता है. कमी होने पर प्राइवेट नर्सरी से खरीदी होती है. योजना के तहत कुछ स्थानों पर ये निशुल्क भी दिये जाते हैं. जानकारों ने बताया कि अधिक संख्या में अगर पौधे जाते हैं तो उनका हिसाब रखा जाता है. पौधे कहां लगने हैं इसकी जानकारी संबंधित एजेंसी के पास होती है. इनका सत्यापन नहीं हो रहा है. ऐसे में पता नहीं लग पाता ये लगे या नहीं?
शहर की सरकारी और निजी नर्सरी में पौधों को तैयार किया जाता है. पौधरोपण के लिए यहां से वितरण होता है. इसके लिए नर्सरी को ब्योरा रखना होता है. कई जगह इसमें अनदेखी से पौधे खराब हो रहे है. सैकड़ों पौधे नहीं लग पाए.
सुनील दुबे, वृक्षमित्र, एक्टिविस्ट
पौधारोपण के बाद उनकी देखरेख भी की जाती है. इसके अलावा कई लोग अलग-अलग उद्देश्य से पौधे ले जाते हैं.
आलोक पाठक, डीएफओ
यहां पर तैयार होते हैं पौधे
● वन विभाग की दो नर्सरी
● सीपीए पीडब्ल्यूडी की चार नर्सरी
● नगर निगम की नर्सरी
पहले भी बने थे हालात
इस तरह की स्थिति पहले भी बन चुकी है. नर्सरी से रोपने के नाम पर कम दरों पर खरीदी की गई. जगह नहीं मिली तो सड़क किनारे कई पौधों को छोड़ दिया गया था. बाद में ये कचरे के ढेर में तब्दील हो गए.
आकार के आधार पर तय होते हैं दाम
पौधों के आकार के आधार पर इनके दाम तय होते हैं. वन विभाग पौधारोपण के लिए रियायती दरों पर मुहैया कराता है. यही स्थिति बाकी विभागों की भी है. इनकी देखरेख का जिम्मा उस एजेंसी के हाथ होता है जिसकी जमीन पर इन्हें लगाया जाता है. जैसे अगर सीपीए के जरिए पौधा रोपण हुआ तो देखरेख की जिम्मेदारी भी उसी की होती है. निजी तौर भी पौधरोपण कराया जाता है.