OBC आरक्षण के बाद अब ब्राह्मणों को साधने में जुटे शिवराज, अब की ये बड़ी घोषणा

चुनावी साल होने के नाते सरकार और विपक्षी दलों का दावे-वादे करना लाज़मी है। बहुत से लुभावने वादे आपके द्वार पर खड़े होकर भी नेताजी करेंगे मगर वादों की झड़ी में इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने सवर्णों को लेकर अपना रुख साफ किया है।

Update: 2022-05-19 06:41 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चुनावी साल होने के नाते सरकार और विपक्षी दलों का दावे-वादे करना लाज़मी है। बहुत से लुभावने वादे आपके द्वार पर खड़े होकर भी नेताजी करेंगे मगर वादों की झड़ी में इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने सवर्णों को लेकर अपना रुख साफ किया है। रीवा पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भरे मंच से संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को 5 लाख रुपये की स्कॉलरशिप दिए जाने की घोषणा की है। यह वादा रीवा के एसएफ ग्राउंड में आयोजित किसान सम्मान निधि कार्यक्रम के दौरान किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परशुराम जयंती का भी जिक्र किया और कहा कि हमने तय किया है कि पाठ्यपुस्तकों में परशुराम भगवान की गौरव गाथा को जोड़ा जाएगा।

ओबीसी आरक्षण पर बुधवार की सुबह जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो रीवा पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सवर्ण समाज के वोट बैंक को साधने के लिए भरे मंच से यहां भी अपने दांव आजमाने शुरू कर दिए। वह इसलिए क्योंकि विंध्य क्षेत्र सवर्ण समुदाय, खासकर ब्राह्मणों का सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में विंध्य क्षेत्र के सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए उनके द्वारा यह स्कीम लाई गई।
यह बोले शिवराज
इस दौरान शिवराज ने कहा कि भगवान परशुराम जी की जयंती पर सरकार ने फैसला किया कि हमारे ब्राह्मण बालक जो संस्कृत पढ़ते हैं, कर्मकांड को जिंदा रखे हुए हैं, इसी साल से उन बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाएगी ताकि वह हमारी संस्कृति को आगे बढ़ा सकें।
कई बार टले पंचायत-निकाय चुनाव
ओबीसी आरक्षण को लेकर विगत कई सालों से कांग्रेस और भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। जिसके लिए कई बार पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव को टालने की कोशिश भी की गई। और अंततः अब ओबीसी आरक्षण के तहत चुनाव कराए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और विपक्षी दल कांग्रेस कोर्ट के इस निर्णय को अपनी जीत बता रहे हैं।
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को पहले से ही एससी और एसटी समुदाय के वोट तो मिलते रहे हैं। मगर इस बार ओबीसी आरक्षण पर अपनी स्थिति साफ करते हुए सरकार ने ओबीसी वोट बैंक को भी अपने खाते में डालने की कोशिश की। फिलहाल ओबीसी वर्ग अब भी कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही खफा है। वहीं सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने सवर्ण समाज के वोट बैंक को भी अपना बनाने के लिए नई रणनीति बना ली और मंच से ये घोषणाएं कर दीं।
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