MP में प्राइवेट स्कूलों पर प्रशासन का ऐक्शन, 20 संचालक गिरफ्तार; क्या है वजह

Update: 2024-05-29 07:45 GMT
मध्यप्रदेश के जबलपुर में कई निजी स्कूलों पर प्रशासन ऐख्शन मोड में है। इन स्कूलों के खिलाफ मिली शिकायतों के बाद जांच में पाया गया कि इन्होंने नियमों के खिलाफ जाकर स्कूलों की फीस बढ़ा दी थी। पुलिस ने 11 स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इसके साथ ही प्रशासन ने इन स्कूलों द्वारा किया गया 100 करोड़ से ज्यादा का फीस घोटाला उजागर किया है। मामले में 20 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अभी कई लोग फरार बताए जा रहे हैं। इन स्कूलों पर हुई कार्रवाई प्रशासन ने जिन स्कूलों पर मामला दर्ज किया है उनमें क्राइस्ट चर्च स्कूल सालीवाडा, स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल, क्राइस्ट चर्च बॉयज एंड गर्ल्स स्कूल, चैतन्य टेक्नो स्कूल धनवंतरी नगर, सेंट एनालिसिस स्कूल पोली पथर, ज्ञान गंगा आरके इंटरनेशनल स्कूल, लिटिल वर्ल्ड स्कूल,क्राइस्ट चर्च बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल,क्राइस्ट चर्च जबलपुर डाइजेशन स्कूल के नाम शामिल हैं।
जबलपुर जिले में कुछ दिन पहले कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने निजी स्कूलों के खिलाफ अधिक फीस वसूलने के मामले को लेकर एक मुहिम चलाई थी। इस मुहिम के तहत निजी स्कूलों के खिलाफ बच्चों सहित आम लोगों की शिकायतें मांगी गई थीं। इस पूरे मामले में लोगों ने फीस किताबें और ड्रेस में साठगांठ के आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन को शिकायत की थी। मामले में जिला प्रशासन को लोगों की तरफ से ढाई सौ के करीब शिकायत मिली। जिस पर जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों के खिलाफ जांच शुरू की तो पाया कि अभी तक इन स्कूलों ने 81 करोड़ 30 लाख रुपए 21000 बच्चों से ज्यादा फीस के तहत वसूल की है। जबलपुर कलेक्मटर दीपक सक्सेना ने बताया कि मध्यप्रदेश में 2017 में निजी स्कूलों के संचालन के लिए एक अधिनियम पारित किया गया था। अधिनियम के तहत कोई भी स्कूल बिना सुविधा बढ़ाये 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकता है। इससे अधिक फीस बढ़ाने पर जिला प्रशासन की अनुमति की जरूरत होती है। इस मामले में जिला प्रशासन ने जांच की और पाया कि जबलपुर के इन स्कूलों ने बिना नियम के अपनी फीस में बढ़ोतरी कर दी। इन स्कूलों पर आरोप लगाया गया था कि इन्होंने नियम विरुद्ध तरीके से स्कूलों की फीस बढ़ा दी थी। इस मामले में जिला प्रशासन का कहना है कि जो गैर कानूनी तरीके से फीस बढ़ाई गई है, वह फीस यदि वापस कर देते हैं तभी जांच से बच पाएंगे। इसी तरीके से किताबों की मोनोपोली खत्म करके ऐसे सरल कर ले तो प्रशासन इन लोगों पर कार्यवाही नहीं करेगा।
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