सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी बरी, पीड़िता ने पलटे बयान, बोली पुलिस ने कोरे कागज पर कराए थे हस्ताक्षर
ग्वालियर। लगभग सवा साल पहले बहुचर्चित खनन एवं होटल कारोबारी रामनिवास शर्मा एवं अमित मिश्रा के खिलाफ एक युवती द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किए जाने की प्राथमिकी विश्वविद्यालय थाने में दर्ज कराई गई थी। जिस पर अमित मिश्रा को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया जबकि रामनिवास शर्मा फरार हो गए। शहर के हाई प्रोफाइल इस मामले में सिर्फ अमित मिश्रा के खिलाफ ही न्यायालय में चालन प्रस्तुत हो सका क्योंकि रामनिवास शर्मा के खिलाफ पुलिस ने जांच के बाद खात्मा रिपोर्ट लगा दी। युवती पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी और धारा 164 के बयान से मुकर गई और नया बयान दिया कि अमित मिश्रा से उसकी पुरानी दोस्ती रही है, उसने उसके साथ इच्छा के विरुद्ध कभी अवैध संबंध नहीं बनाए। पुलिस ने एक कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराकर अपने हिसाब से प्राथमिकी दर्ज की है। युवती के बयान पलटने पर षष्टम अपर सत्र न्यायाधीश ने 11 जुलाई को अपने आदेश में अमित मिश्रा को दोषमुक्त करार दिया है। जबकि रामनिवास शर्मा को पहले ही उच्च न्यायालय से राहत मिल गई। उल्लेखनीय है कि 22 जून 2022 को विश्वविद्यालय थाना पुलिस ने रामनिवास शर्मा पुत्र जयदेव शर्मा, निवासी ई 25 विवेकानंद कॉलोनी, बलवंत नगर और अमित मिश्रा पुत्र रमेश मिश्रा, निवासी 56 बलवंत नगर के खिलाफ एक युवती के बयान पर धारा 376 घ व 506 भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। 32 वर्षीय युवती ने थाने में शिकायत की थी कि उसने किन्हीं भाई साहब से कहीं झाड़ू चौका बर्तन का काम दिलाने को कहा था, ताकि चार पांच हजार रुपए मिलने पर गुजर-बसर हो सके। तब उन्होंने 22 जून 2022 को उसे रामनिवास शर्मा से मिलवाया जो उसे अपनी सफेद रंग की बुलेरो में एसपी बंगला के सामने से बैठाकर 56, बलवंत नगर ले गए। वहां अभियुक्त अमित मिश्रा पहले से ही मौजूद था, मिश्रा ने अंदर से ताला डाल दिया फिर दोनों ने बारी-बारी से गलत काम किया। साथ ही किसी को कुछ भी बताने पर जान से मारने की धमकी दी। युवती की शिकायत पर विवि थाना पुलिस ने दोनों अभियुक्तों के खिलाफ अपराध क्रमांक 290/2022 पंजीबद्ध करते हुए अमित मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया जबकि रामनिवास शर्मा फरार हो गया। इस बीच युवती के धारा 164 में बयान भी दर्ज हुए। 19 अगस्त 2022 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनुप्रेक्षा जैन के यहां अभियोग पत्र पेश हुआ । तब 3 सितंबर 2022 को यह प्रकरण सत्र न्यायालय में आया। षष्टम अपर सत्र न्यायाधीश अनीता सिंह के न्यायालय में सुनवाई के दौरान पीडि़ता अपने बयान से पलट गई। उसने पुलिस की प्राथमिकी और धारा 164 के बयान गलत ठहरा दिए। उसने अपने बयान में कहा कि वह अभियुक्त अमित मिश्रा को पहले से जानती है। उससे उसका झगड़ा हो गया था इसलिए उसकी रिपोर्ट दर्ज कराने थाने गई थी किंतु पुलिस ने कोरे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए। वह अमित मिश्रा के साथ घूमने जाया करती थी, इस दौरान उसकी इच्छा के विरुद्ध उसने कभी अवैध संबंध नहीं बनाए। प्रति परीक्षण में उसने अभियोजन के समस्त तथ्यों से इनकार किया। उसने कहा प्राथमिकी पढक़र नहीं सुनाई गई।धारा 164 के कथन पुलिस ने अपने हिसाब से लेखबध्द किए हैं। इतना ही नहीं उसने यह तक कहा कि वह 21 से 24 जून 2022 तक ग्वालियर में थी ही नहीं।