सिल्वरलाइन परियोजना संपत्तियों के सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण के कदमों को टालने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर देगा : उच्च न्यायालय

कोच्चि, 18 फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह सिल्वरलाइन परियोजना को लेकर कुछ संपत्तियों के सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण के कदमों को टालने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर देगा।

Update: 2022-02-19 08:50 GMT

कोच्चि, 18 फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह सिल्वरलाइन परियोजना को लेकर कुछ संपत्तियों के सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण के कदमों को टालने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर देगा।

मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर विचार करते हुए मौखिक रूप से यह टिप्पणी की। अदालत ने विस्तृत आदेश के लिए मामले को स्थगित भी कर दिया।
राज्य सरकार ने अपनी अपील में सिल्वरलाइन परियोजना के संबंध में सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण को 18 फरवरी तक के लिए टालने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। एकल पीठ ने सात फरवरी को अपना आदेश दिया था।
राज्य सरकार ने एकल पीठ के सात फरवरी के आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा था कि 14 फरवरी को अदालत की एक बड़ी पीठ ने कहा था कि राज्य सरकार परियोजना के संबंध में सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआईए) अध्ययन को लेकर संपत्तियों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कर सकती है।
सिल्वरलाइन केरल सरकार की महत्वाकांक्षी ट्रेन परियोजना है जिसके कार्यान्वित होने पर तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक यात्रा में लगने वाले समय में चार घंटे तक कमी आने की उम्मीद है। विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ गठबंधन इस परियोजना का विरोध कर रहा हे। उसका आरोप है कि यह "अवैज्ञानिक और अव्यवहारिक" है तथा इससे राज्य पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक 530 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के-रेल द्वारा विकसित की जाएगी। के-रेल दक्षिणी राज्य में रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केरल सरकार और रेल मंत्रालय का एक संयुक्त उद्यम है।


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