न्यूडिटी और अश्लीलता में है अंतर! : HC
व्यक्ति को अपने शरीर पर स्वायत्तता का अधिकार है.
तिरूवनंतपुरूम: केरल हाईकोर्ट ने आज यानी सोमवार को पोक्सो एक्ट के एक मामले में एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता को रिहा कर दिया है. बता दें महिला रेहाना फातिमा पर आरोप है कि उसने अपने अर्ध नग्न शरीर पर अपने नाबालिग बेटे और बेटी से पेटिंग बनवाई थी. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. जिसके बाद फातिमा के खिलाफ POCSO, किशोर न्याय और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया था.आज यानी 5 जून को केरल कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस मामले में महिला को रेहाना को सभी आरोपों से रिहा कर दिया था. कोर्ट ने कहा अश्लीलता और नग्नता एक दूसरे से पूरी तरह से अलग है. इसलिए लोगों को उनके शरीर की स्वायत्ता के अधिकार से वंचित किया जाता है.
कोर्ट ने कहा महिला ने अपने शरीर पर पेंटिंग कराई है, पर इससे प्रफू नहीं होता है यह कोई यौन क्रिया नहीं थी.यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा हर व्यक्ति को स्वतंत्रता दी गई है. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस कौसर एदापगथ ने कहा कि यह संभव नहीं है कि बच्चे किसी यौन क्रिया के तहत यह काम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि महिला ने अपने बच्चों को सिर्फ कैनवास की तरह अपने शरीर को पेंट करने की अनुमति दी.यह एक महिला का अधिकार है कि वो अपने शरीर को लेकर स्वायत्त फैसले ले सकती है.