Kerala: केरल में तेजी से बढ़ रहे बाल शोषण के मामले, प्रदेश बाल अधिकार पैनल की रिपोर्ट में खुलासा

21 प्रतिशत मामले बच्चों के घरों में और 04 प्रतिशत स्कूलों में दर्ज

Update: 2024-11-25 14:31 GMT

New Delhi, नई दिल्ली। देश में बाल शोषण के मामलों में लगातार वृद्धि होना गंभीर समस्या बनी हुई है। केरल बाल अधिकार पैनल की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि देश में केरल में सबसे तेजी से बाल शोषण के मामले बढ़े हैं। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे 21 प्रतिशत मामले बच्चों के घरों में और चार प्रतिशत स्कूलों में दर्ज किए गए। ऐसे में साफ है कि केरल में बच्चे ना घर में और ना ही स्कूलों में सुरक्षित हैं, जो गंभीर चिंतन का विषय है। इस दिशा में जल्द ही ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ''यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत 4,663 मामलों का विश्लेषण किया गया, 988 (21 प्रतिशत) घटनाएं बच्चों के घरों में, 725 (15 प्रतिशत) आरोपियों के घरों में और 935 (20 प्रतिशत) घटनाएं सार्वजनिक स्थानों पर हुईं हैं।'' रिपोर्ट में बताया गया कि 173 मामलों में अपराध स्कूलों में, 139 मामले गाड़ियों में, 146 घटनाओं विभिन्न स्थानों पर और 166 घटनाएं अलग-अलग इलाकों में हुईं हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, 791 (17 प्रतिशत) मामलों में अपराध के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं थी। 2023 में, पूरे केरल में कुल 4663 पोक्सो मामले दर्ज किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, तिरुवनंतपुरम जिले में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जबकि पथानामथिट्टा जिले में सबसे कम मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के अनुसार, मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि 2021 में 3,322 मामले और 2022 में 4,583 मामले सामने आए। 2019 में 3,616 मामले और 2020 में 3030 मामले सामने आए।

आयोग ने पाया कि निर्दिष्ट अवधि के दौरान विश्लेषण किए गए 4,582 मामलों में से, जिसमें 5,002 आरोपी व्यक्ति शामिल थे, पीड़ित बच्चों और आरोपियों के बीच संबंध को इस प्रकार बांटा गया था, इनमें 873 बच्चे परिचित थे, 631 पड़ोसी थे, 439 परिवार के सदस्य थे, 435 रिश्तेदार थे, 477 दोस्त थे, 692 रोमांटिक पार्टनर थे, 210 शिक्षक थे, 305 अजनबी थे, 896 थे अनिर्दिष्ट या अज्ञात, और 36 वैन, बस या आटो चालक थे।

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