मशहूर कन्नड़ लेखिका सारा अबूबकर का मंगलवार को मंगलुरु में निधन हो गया। वह 86 वर्ष की थीं। केरल के कासरगोड में जन्मी, वह अपनी शादी के बाद से मेंगलुरु के हाट हिल में रह रही थी। उनके परिवार में चार बेटे हैं।
अबूबकर का पहला उपन्यास- चंद्रगिरिया थेरादल्ली का अनुवाद हिंदी, तमिल, मराठी और ओडिया भाषाओं में किया गया था। कई विश्वविद्यालयों ने इसे पाठ्यपुस्तक के रूप में भी पेश किया था। उन्होंने 'लंकेश पत्रिके' में एक लेख के माध्यम से लिखना शुरू किया।
उन्होंने मंगलुरु में 'करावली लेककियारु माथु वचकियारा संघ' के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उनकी कुछ रचनाओं में चंद्रगिरिया तेरादल्ली, सहाना, वज्रगलु, सुलियाल्ली सिक्कवरु शामिल हैं। उनकी आत्मकथा का नाम हॉट्टू कंथुवा मुन्ना है। उन्होंने मलयालम कृतियों का कन्नड़ में अनुवाद भी किया है।
उन्होंने मैंगलोर विश्वविद्यालय से कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार, नादोजा पुरस्कार, मानद डॉक्टरेट जीता था।