क्या 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनेगा हिजाब विवाद? जानिए क्या होगा

कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर कॉलेजों और स्कूल कैंपस में विरोध प्रदर्शन हुए

Update: 2022-03-17 11:31 GMT

कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर कॉलेजों और स्कूल कैंपस में विरोध प्रदर्शन हुए, राज्य में हिंसा और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष भी देखा गया. अब कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं है. छात्राओं को स्कूल और कॉलेज में निर्धारित यूनिफॉर्म पहनकर ही जाना होगा. इसके साथ ही कर्नाटक से शुरू होकर पूरे देश में फैले हिजाब विवाद का अंत हो गया है. अब सवाल उठता है कि क्या इस विवाद को 2023 में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर असर पड़ेगा?

एक तरफ, दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र के लोगों का एक बड़ा वर्ग महसूस करता है कि हिजाब विवाद काफी हद तक न्याय की लड़ाई के बजाय राजनीतिक गतिरोध का नतीजा था. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों का कहना है कि इस विवाद का 2023 में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर बहुत कम या बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ेगा. News18 ने कई स्थानीय नेताओं से बात की जो तटीय कर्नाटक क्षेत्र की राजनीति से परिचित हैं. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे हिजाब पहनने वाली लड़कियों और भगवा शॉल पहनने वालों के बीच संघर्ष भाजपा और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI), के बीच अंतर्निहित राजनीतिक लड़ाई का एक हिस्सा था.
उडुपी के एक कॉलेज के छात्र नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर News18 से कहा, "पिछले कुछ वर्षों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) और भाजपा के बीच राजनीतिक संघर्ष तेज हो गया है. एसडीपीआई (SDPI) भी भावनाओं को भड़काने में सक्रिय रूप से शामिल है और हम इसे इन दिनों शिक्षण संस्थाओं में अधिक स्पष्ट रूप से देख सकते हैं. हिजाब मुद्दे ने न केवल 6 याचिकाकर्ताओं को "सलाह" देने के लिए सीएफआई और एसडीपीआई को एक साथ लाया, इसने बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा युवा मोर्चा को भी एकजुट किया. चुनाव विचारधाराओं पर लड़े जाते हैं. यह धारणा दिन-प्रतिदिन और मजबूत होती जा रही है. हमें यकीन है कि हिजाब विवाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुद्दा होगा. युवा मतदाता निश्चित रूप से इसके बारे में बात करना चाहेंगे."
अगर कर्नाटक के अलग-अलग क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के प्रभाव के संदर्भ में बात करें तो, 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उडुपी जिले की सभी 5 सीटों पर जीत हासिल की. दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र की 8 सीटों में से 7 पर भाजपा ने जीत हासिल की और कांग्रेस के खाते में सिर्फ 1 सीट आई थी. वहीं, 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उडुपी में 3 और दक्षिण कन्नड़ में 7 सीटें जीती थीं. दोनों राजनीतिक दलों का दावा है कि हिजाब विवाद आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कोई मुद्दा नहीं होगा.
हिजाब विवाद को कांग्रेस और CFI-SDPI ही बनाएंगे चुनावी मुद्दा
बीजेपी के भगत सिंह छात्र मोर्चा (BCM) के राष्ट्रीय मुख्य सचिव यशपाल सुवर्णा ने News18 को बताया कि हिजाब का मुद्दा चुनावी मुद्दा नहीं होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हिजाब विवाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में चुनाव प्रचार का हिस्सा बनता है तो यह कांग्रेस, एसडीपीआई और सीएफआई की वजह से होगा. यशपाल सुवर्णा ने कहा, "यह मुद्दा कॉलेज शिक्षा से जुड़ा है. लड़कियों और लड़कों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और देश के विकास में योगदान देना चाहिए. यह इस बारे में नहीं होना चाहिए कि चुनाव के दौरान इसका कैसे फायदा उठाया जाए. ने तो पीएफआई और न ही एसडीपीआई का दक्षिण कन्नड़ में कोई आधार है. वे धन इकट्ठा करने के लिए धर्म का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. जो लोग इस हिजाब मुद्दे का हिस्सा हैं, वे स्पष्ट रूप से नहीं चाहते कि बच्चियों को शिक्षित किया जाए. वे उन्हें गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं. अगर लड़किया शिक्षित हैं, तो वे पुरुषों से सवाल करेंगी."
हिजाब विवाद BJP की सोची-समझी चाल: कांग्रेस
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और मैंगलोर के विधायक यूटी खादर ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी हिजाब के मुद्दे को कोई महत्व नहीं देना चाहती है. खादर ने News18.com से कहा, "सिर्फ इसलिए कि कुछ सैकड़ों लोगों को समस्या है, हजारों लड़कियां अपना बहुमूल्य समय और शिक्षा से हाथ धो बैठेंगी. इन लड़कियों के माता-पिता पर यह जिम्मेदारी है कि वे इन लड़कियों की शिक्षा के लिए पक्ष लें, जो हिजाब पहनना चाहती हैं. अदालत ने हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. विपक्षी दल (BJP) जाल बिछा रहा है और ये लोग (विरोध करने वाली लड़कियां) इसका शिकार हो रही हैं."
इस बीच, सीएफआई का हिजाब विवाद के मुद्दे पर अपनी अलग राय है. सीएफआई के स्वदकथ शाह का कहना है, "भाजपा अपने वोट बैंक का ध्रुवीकरण करना चाहती थी, क्योंकि उन्होंने राज्य में अपने शासनकाल के दौरान कोई विकास नहीं किया है. कर्नाटक में ज्यादातर लोग यह देख रहे हैं और इसका असर चुनावों पर पड़ेगा."
हिजाब मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञों की क्या है राय?
वहीं राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर चंबी पुराणिक को लगता है कि भाजपा आगमी चुनाव में हिजाब विवाद का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए कर सकती है कि उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से एक सांप्रदायिक मुद्दे से कैसे निपटा है. लोग मूर्ख नहीं हैं. वे समझते हैं कि किन मुद्दों में राजनीतिक रंग हैं और कौन से प्रगति के लिए हैं." राजनीतिक वैज्ञानिक मुजफ्फर असदी का मत अलग है. उनका मानना ​​है कि हिजाब मुद्दे का असर 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा. उन्होंने कहा, "तीन चीजें हैं, हिजाब का मुद्दा, द कश्मीर फाइल्स फिल्म और यूपी चुनाव के नतीजों से मिला विश्वास – राज्य के चुनावों पर असर डालेगा."
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