Suicide in India: देश में 2020 में हुई हर घंटे एक आत्महत्या, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 43 फीसदी

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब की लत के कारण आत्महत्याएं बढ़ी हैं।

Update: 2021-11-15 08:15 GMT

बेंगलुरु। नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब की लत के कारण आत्महत्याएं बढ़ी हैं। 2020 के साथ इस तरह की मौतों में वृद्धि जारी है। आत्महत्या के 9,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। मतलब हर घंटे एक आत्महत्या हुई। इस कुल आत्ममहत्याओं में अकेले दो राज्यों, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 43 पर्सेंट से ज्यादा आत्महत्याएं हुईं।मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लोग या तो शराब और नशीली दवाओं के कारण अंतर्निहित मानसिक स्थितियों की कगार पर पहुंच रहे हैं या फिर वित्तीय संकट और पारिवारिक समस्याओं समेत अन्य मुद्दों को लेकर इस तरह के कदम उठा रहे हैं।

डरा रहे आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की रिपोर्ट में 7,860 की तुलना में 2020 में ऐसी मौतों की संख्या में लगभग 17 पर्सेंट की वृद्धि हुई है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के हालात खराब
2019 में, देश भर में 1.3 लाख से अधिक आत्महत्याएं हुईं। इनमें से 5.6 पर्सेंट नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब के कारण हुईं। 2020 में 1.5 लाख आत्महत्याएं दर्ज की गईं। इनमें से 6 पर्सेंट से ज्यादा नशीली दवाओं या शराब की लत के कारण आत्महत्याएं होने के मामले दर्ज किए गए। 9,169 मौतों में से 3,956 महाराष्ट्र और कर्नाटक से थीं। पिछले वर्षों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र 2015 से इस सूची में टॉप पर है। कर्नाटक में मामले बढ़ रहे हैं और 2018 से राज्य दूसरे स्थान पर आ गया है। 2017 में यह तीसरे स्थान पर था।
एमपी, तमिलनाडु और केरल में भी बढ़ रहे के
2015 और 2020 के बीच, लगभग 40,000 लोगों ने ड्रग्स और शराब की लत के चलते आत्महत्या कीं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा, तीन अन्य राज्यों- मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में भी मामले बढ़े हैं। 2020 में, इन राज्यों में कुल ऐसी मौतों का 7,356 थे, जो लगभग 80 फीसदी है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
पिछले पांच वर्षों में ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, जिसमें 2015 में केवल 3,670 मामले दर्ज किए गए हैं। 2015 में, ऐसे मामलों में कुल आत्महत्याओं का केवल 2.7 पर्सेंट हिस्सा था। कई मनोचिकित्सकों ने कहा कि जो मरीज तनाव में हैं और शराब के आदी हैं, वे आत्महत्या जैसा कदम जल्द उठा लेते हैं। इसके अलावा लंबे समय तक शराब या ड्रग्स की लत होने के कारण मनोविकृति भी हो सकती है जो आत्महत्या का कारण बन सकती है।
कर्नाटक में 300 पर्सेंट तक उछाल
महाराष्ट्र में इस तरह के मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई है। कर्नाटक में 2015 में केवल 94 ऐसे मामले थे। महाराष्ट्र में वार्षिक वृद्धि 7 पर्सेंट से 29 पर्सेंट देखी गई है। वहीं कर्नाटक में यह 2015 से 2018 के बीच 30 पर्सेंट से 300 पर्सेंट तक पहुंच गई।
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