कर्नाटक के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का झंडा एक दिन राष्ट्रीय ध्वज बनेगा

अपने बयानों को लेकर अकसर चर्चा में रहने वाले कर्नाटक के पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा एक बार फिर चर्चा में हैं

Update: 2022-05-30 16:29 GMT

अपने बयानों को लेकर अकसर चर्चा में रहने वाले कर्नाटक के पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने दावा किया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का झंडा एक दिन राष्ट्रीय ध्वज बनेगा। इसमें शंका की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवा के प्रति सम्मान आज-कल से शुरु नहीं हुआ है। हजारों साल से इसका सम्मान किया जाता रहा है।

कर्नाटक सरकार में मंत्री रहे केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि भगवा झंडा त्याग और बलिदान की निशानी है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी तारीफ की। ईश्वरप्पा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोगों में बलिदान की भावना को लाने के लिए ही भगवा ध्वज को सामने रखकर पूजा करता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार, तिरंगा राष्ट्र ध्वज है और तिरंगे को जो सम्मान देना चाहिए वह हम देते हैं।


पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

गौरतलब है कि बसवराज बोम्मई सरकार में मंत्री रहे केएस ईश्वरप्पा का इस तरह का बयान पहली बार नहीं आया है। इससे पहले भी वे विवादित बयान दे चुके हैं। 2015 में रेप को लेकर दिए गए बयान के बाद वो विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। एक प्रेसवार्ता के दौरान ईश्वरप्पा ने कहा था कि, 'अगर आपका किसी ने बलात्कार कर दिया है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं?' वहीं, एक रैली के दौरान मुसलमानों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि 'भाजपा मुस्लिमों को टिकट इसलिए नहीं देती है, क्योंकि वो हम पर विश्वास नहीं करते हैं।' हाल ही में यूपी सरकार के मदरसों में अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान गाने के मुद्दे पर भी उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया था। उन्होंने कहा कि 'अब जल्दी ही एंटी नेशनल राष्ट्रगान गाते नजर आएंगे।' अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने दावा किया कि देश में 36,000 मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गई थीं, उन्हें कानूनी लड़ाई से वापस लेंगे।

ऐसे गंवाना पड़ा था मंत्री पद

गौरतलब है कि पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा कर्नाटक में बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। ईश्वरप्पा कर्नाटक सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री थे। उडुपी के एक होटल में सरकारी ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के बाद उपजे भ्रष्टाचार के विवाद में उन्हें अपना मंत्री पद गवांना पड़ा था। दरअसल, मृत ठेकेदार ने उनपर कराए गए काम के बदले में चालीस परसेंट कमीशन की मांगने का आरोप लगाया था। इस मामले में उनके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी।

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