पीएसआई भर्ती घोटाला: कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा, न्यायिक समिति की जांच में सामने आएगी सच्चाई

Update: 2023-07-22 10:06 GMT
 
बेंगलुरु (आईएएनएस)। कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने शनिवार को कहा कि पीएसआई भर्ती घोटाले की जांच न्यायिक समिति को सौंप दी गई है, जिससे सच्चाई सामने आएगी।
उन्होंने कहा, "उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा की अध्यक्षता वाली समिति जांच करेगी।"
परमेश्वर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हमने पहले भी इस घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की थी। सच्चाई सामने लाने के लिए यह फैसला लिया गया है। जांच और भर्ती अलग-अलग की जाएगी। अगर दोनों का घालमेल कर दिया जाएगा तो भर्तियां करना संभव नहीं होगा।"
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता, तब तक 400 रिक्त पदों पर भर्तियां करना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को पीएसआई भर्ती घोटाले की न्यायिक जांच का आदेश दिया था। आदेश की प्रति शुक्रवार रात जारी की गई।
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि वह राज्य में पुलिस सब-इंस्पेक्टर (पीएसआई) भर्ती घोटाले की दोबारा जांच करेगी।
पुलिस ने राज्य के इतिहास में पहली बार एक एडीजीपी रैंक के अधिकारी सहित 30 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
कांग्रेस नेताओं ने पूर्व गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे की जोरदार मांग की थी। उन्होंने पूर्व मंत्री सी.एन. अश्वथ नारायण पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया और परोक्ष रूप से पूर्व मुख्‍यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे तथा भाजपा विधायक बी.वाई. विजयेंद्र की भी भूमिका का जिक्र किया।
एडीजीपी अमृत पॉल को काफी पहले गिरफ्तार किया गया था। वह अभी भी जेल में हैं।
कांग्रेस नेताओं ने कहा: "जांच इस स्तर पर अटकी हुई है और अधिकारियों ने जांच को आगे बढ़ाने की जहमत नहीं उठाई है क्योंकि इसमें शक्तिशाली भाजपा राजनेताओं की संलिप्तता है।"
इस घोटाले को लेकर सीआईडी पहले ही दो आरोपपत्र दाखिल कर चुका है।
पीएसआई के 545 रिक्त पदों के लिए 3 अक्टूबर 2021 को आयोजित परीक्षा में 54,041 उम्मीदवार उपस्थित हुए थे। परीक्षाएं राज्य भर के 92 केंद्रों पर आयोजित की गईं और परिणाम जनवरी में घोषित किए गए।
बाद में आरोप सामने आए कि जिन अभ्यर्थियों का प्रदर्शन वर्णनात्मक लेखन में खराब था, उन्हें पेपर-2 में अधिकतम अंक मिले। हालांकि, पिछली भाजपा सरकार के तहत पुलिस विभाग और तत्कालीन गृह मंत्री ने पीएसआई भर्ती परीक्षा में किसी भी अनियमितता से इनकार किया था।
एक अभ्यर्थी ने आरटीआई आवेदन दायर कर एक अभ्यर्थी की ओएमआर शीट के बारे में जानकारी मांगी। हालांकि आवेदन खारिज कर दिया गया था, उम्मीदवार की ओएमआर शीट सार्वजनिक डोमेन में दिखाई दी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अभ्यर्थी वीरेश ने पेपर-2 में केवल 21 प्रश्नों के उत्‍तर दिए थे, लेकिन उसे 100 अंक मिले और वह सातवें स्थान पर रहे।
आरडीपीआर, आईटी और बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने तब आरोप लगाया था कि 545 उम्मीदवारों में से 300 से अधिक ने पीएसआई बनने के लिए अधिकारियों और मंत्रियों को 70 से 80 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें सीआईडी के समक्ष सबूत पेश करने की चुनौती दी थी।
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