Bengaluru बेंगलुरू: राष्ट्रीय उद्यान से सटे वन्य ग्रामों में बार-बार उत्पात मचाने वाले और तीन लोगों की जान लेने वाले हाथी ‘मखना’ को पकड़ने का अभियान सफल रहा है। इससे वन के समीपवर्ती ग्रामों के लोगों ने राहत की सांस ली है।हाथी की मौजूदगी पर दो दिनों तक ड्रोन से नजर रखी गई। हाथी पकड़ने के अभियान के लिए शनिवार को डुबारे और मट्टीगोडू हाथी शिविरों से आठ हाथियों को उतारा गया। वन विभाग के कर्मचारियों और शार्प शूटरों समेत पूरी टीम ने रविवार को ही पूरी तैयारी कर ली थी।
यह टीम सोमवार की सुबह अभियान के लिए रवाना हुई और करीब छह बजे हाथी के ठिकाने पर पहुंच गई। शार्ट शूटर रंजन ने निचले इलाके में मौजूद हाथी मखना को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। करीब एक किमी दूर जाने के बाद हाथी को राहत मिली। इसके बाद हाथी मखना के पैरों को मोटी रस्सियों से बांधा गया और भीम और महेंद्र की मदद से उसे कुछ दूर तक ले जाया गया। बाद में क्रेन की मदद से हाथी को ट्रक में लादकर बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क के सेगेकट्टा स्थित कैंप में लाया गया। हाथी को पकड़ने के अभियान में प्रशिक्षित हाथी महेंद्र ने अहम भूमिका निभाई। बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क के डीएफओ प्रभाकर प्रियदर्शी, दुबारे हाथी कैंप के शार्पशूटर रंजन, डॉक्टर रमेश, किरण, नागरहोल हाथी विशेषज्ञ रमेश, बांदीपुर हाथी बचाव विशेषज्ञ वसीम, महावत और कावड़ियों समेत 100 से ज्यादा लोगों ने अभियान में हिस्सा लिया। बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क के डीएफओ प्रभाकर प्रियदर्शी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "फिलहाल मखना हाथी को सीगेकट्टे स्थित कैंप में लकड़ी के बाड़े में रखा गया है। कुछ दिन हाथी को काबू में रखना होगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन तय करेंगे कि उन्हें यहां कितने दिन रखा जाए।"