कर्नाटक: UG कोर्स में कन्नड़ भाषा अब नहीं होगी अनिवार्य, हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार का सर्कुलर जारी

कर्नाटक सरकार ने यूजी छात्रों के लिए कन्नड़ भाषा को अनिवार्य करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है।

Update: 2022-01-24 08:37 GMT

बेंगलुरु, कर्नाटक सरकार ने यूजी छात्रों के लिए कन्नड़ भाषा को अनिवार्य करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। इस नए फैसले के अनुसार उच्च न्यायालय के अगले आदेश तक जो स्थानीय छात्र अपने यूजी कोर्स में कन्नड़ भाषा को चुनना नहीं चाहते हैं, उन्हें भाषा चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर आधारित सरकार की ओर से 21 जनवरी को सर्कुलर जारी किया गया था। इस आदेश के बाद जो छात्र पहले ही अपने कोर्स के लिए कन्नड़ भाषा ले चुके हैं उन्हें भी अपनी पसंद की भाषा चुनने का अवसर दिया जाएगा।

21 जनवरी को जारी किया गया सर्कुलर
इस आदेश के अनुसार छात्रों की कन्नड़ भाषा की कक्षा की उपस्थिती को नई भाषा में शामिल किया जाएगा। 21 जनवरी को जारी सर्कुलर में सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और रजिस्ट्रारों को संबोधित किया गया था। इस संबंध में सहायता प्राप्त व गैर सहायता प्राप्त कालेजों के प्रधानाचार्यों को भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आपको बता दें कि राज्य सरकार ने 7 अगस्त 2021 को राज्य में यूजी कोर्स लेने वाले छात्रों के लिए कन्नड़ सीखना अनिवार्य कर दिया था। राज्य सरकार ने कहा कि यह आदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के अनुरूप है।
सरकारी आदेश के खिलाफ दायर हुई यानिकाएं
संस्कृत भारती ट्रस्ट कर्नाटक, अन्य तीन संगठनों और पांच छात्रों ने सरकारी आदेश को चुनौती देने के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। छात्रों का कहना था कि सरकार का यह कदम एनईपी के खिलाफ है। सरकार के फैसले पर पहले उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार यूजी कोर्स के लिए भाषा को अनिवार्य बनाने पर जोर नहीं देगी। इसके बाद अब अदालत ने आगे कहा है कि जो छात्र कन्नड़ भाषा नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें अगले आदेश तक कन्नड़ भाषा सीखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।


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