कर्नाटक हाईकोर्ट ने ऑनलाइन गैम्बलिंग के कानून को बताया असंवैधानिक

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka HC) ने सोमवार को राज्य सरकार के हाल ही में आए।

Update: 2022-02-14 10:41 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka HC) ने सोमवार को राज्य सरकार के हाल ही में आए, ऑनलाइन गैम्बलिंग (Online Gambling) के कानून को असंवैधानिक करार दिया है. इससे स्किल बेस्ड गेमिंग कंपनियों (Gaming Companies) को बड़ी राहत मिली है, जिन्हें राज्य में अपने कामकाज को बंद करना पड़ा था. इस फैसले के बाद फैंटसी स्पोर्ट्स (Fantasy Sports) और गेमिंग कंपनियां जैसे ड्रीम 11, मोबाइल प्रीमियर लीग, गेम्स 24×7 (रमी सर्कल, माय 11 सर्कल) और एस टू थ्री राज्य में वापसी कर पाएंगी. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में अपने संचालन को बंद कर दिया था. कर्नाटक हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर को अपने फैसले को सुरक्षित रखा था. इससे पहले उन्होंने कई याचिकाकर्ताओं से सुनवाई की थी, जिसमें इंडस्ट्री एसोसिएशन, गेमिंग कंपनियां और लोग शामिल थे, जिन्होंने राज्य के नए ऑनलाइन गैम्बलिंग कानून की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी थी, जो 5 अक्टूबर से लागू हुआ था.

स्किल गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़ी ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), सेल्फ-रेगुलेटरी फैंटसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से जुड़ी फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटसी स्पोर्ट्स (FIFS), रियल-मनी गेमिंग कंपनियां मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL), गेम्स 24×7, A23(Ace2Three), जंगली गेम्स, गेम्स क्राफ्ट और पैसेफिक गेम्स उन दर्जनों याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं, जो कानून के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे.
हाईकोर्ट में दायर की गई थीं कई याचिकाएं
इन याचिकाओं में कर्नाटक पुलिस (संशोधन) एक्ट में किए गए संशोधनों की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी गई थी, जिनके तहत सभी तरह की ऑनलाइन गैम्बलिंग पर बैन लगा दिया गया था, जिसनें पैसे का ट्रांसफर शामिल था.
केस की सुनवाई शुरुआत में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की सिंगल जज की बेंच ने की थी और उसके बाद केस को एक डिविजन बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया था जिसमें दीक्षित और चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी शामिल थे. 22 दिसंबर को, बेंच ने पार्टियों को बताया था कि वे आगे किसी तर्क देने के लिए लिखित सब्मिशन को फाइल कर सकते हैं. याचिका को शुरुआत में अंतरिम राहत देने के लिए लिस्ट किया गया था, लेकिन बाद में आखिरी कर्क के लिए सुना गया.
राज्य सरकार संशोधन इसलिए लेकर आई थी, जब हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें ऑनलाइन गैम्बलिंग पर बैन की मांग की गई थी. इसमें गेम ऑफ स्किल और गेम ऑफ चांस के बीच फर्क को हटा दिया गया था, जिससे स्किल बेस्ड गेमिंग स्टार्टअप्स इसके दायरे में आ गए थे.


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