कर्नाटक: गैर-हिंदुओं को मंदिरों के बाहर कारोबार से दूर रखने के लिए सरकार कानून का कर रही है गलत इस्तेमाल
राज्य सरकार हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 2002 की जानबूझकर गलत व्याख्या कर रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कर्नाटक में मंदिरों के सालाना मेलों और धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान गैर हिंदू कारोबारियों को दूर रखने को लेकर विशेषज्ञों का कहना है राज्य सरकार हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 2002 की जानबूझकर गलत व्याख्या कर रही है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह से एक समुदाय को दूर रखना अदालतों की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा क्योंकि यह कदम कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है। साथ ही भाजपा शासित सरकार पर सवाल उठाया है कि उसने अनुमति देने के लिए अपने अधिकारों के उल्लंघन में नागरिकों के एक वर्ग का बहिष्कार किया है।
विेशेषज्ञ मानते हैं सरकार दे रही त्रुटिपूर्ण तर्क
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार हिंदू धार्मिक संस्थान को लेकर गलत और त्रुटिपूर्ण तर्क दे रही है। सरकार कह रही है कि हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 2002 का नियम 31(12) एक हिंदू संस्थान के पास स्थित अचल संपत्ति के लिए लागू है और चल स्टालों और दुकानों पर लागू नहीं है।
यह नियम केवल मंदिर परिसर और उसके आसपास की दुकानों को पट्टे पर देने के लिए है, और उन लाइसेंसों पर लागू नहीं होता है जो दुकानदारों को मंदिर के त्योहारों या मेलों में देवता के जुलूस के साथ इन स्टालों को चलाने के लिए मिलते हैं।
कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी का समर्थन
यह नियम केवल मंदिर परिसर और उसके आसपास की दुकानों को पट्टे पर देने के लिए है, और उन लाइसेंसों पर लागू नहीं होता है जो दुकानदारों को मंदिर के त्योहारों या मेलों में देवता के जुलूस के साथ इन स्टालों को चलाने के लिए मिलते हैं।
कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी का समर्थन
दक्षिणपंथी संगठनों ने मुस्लिम व्यापारियों को मंदिर मेलों से बेदखल कर दिया और मांग की कि गैर-हिंदू व्यापारियों और विक्रेताओं को कर्नाटक में वार्षिक मंदिर मेलों और धार्मिक आयोजनों के दौरान व्यवसाय करने की अनुमति नहीं दी जाए। वहीं राज्य के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने बहिष्कार का बचाव किया और कहा कि उनकी मांगें कानून के अनुकूल हैं। क्या वे वाकई ऐसा है?
गैर हिंदुओं को टेंडर में हिस्सेदारी से भी दूर रखने की अपील
गैर हिंदुओं को टेंडर में हिस्सेदारी से भी दूर रखने की अपील
विश्व हिंदू परिषद की मैसूर यूनिट ने मुजराई (एंडोवमेंट) विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर कहा था कि वार्षिक मंदिर मेलों और धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान व्यापार के लिए गैर हिंदू व्यापारियों को अनुमति न दी जाए और न ही उन्हें मंदिरों से संबंधित किसी टेंडर में हिस्सेदारी की मंजूरी दी जाए। अधिकारियों से यह भी आग्रह किया गया था कि मैसूर में प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर के करीब मुस्लिम व्यापारियों को दी गई दुकानों के मसले को देखें और आवश्यक कार्रवाई करें।