बेंगलुरु (आईएएनएस)| केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी है। इसको लेकर कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सीएम ने कहा है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार अन्न भाग्य योजना को 'विफल' करने की कोशिश कर रही है और गरीबों के लिए खाद्यान्न पर राजनीति कर रही है।
सिद्दारमैया सरकार अपनी दूसरी गारंटी (अन्ना भाग्य योजना) के तहत 1 जुलाई से राज्य के सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो अनाज देने की प्लानिंग कर रही है।
सीएम ने सोमवार को कहा कि हम राजनीति और बाधाओं के बावजूद ईमानदारी से 1 जुलाई तक अन्न भाग्य योजना को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं।
सीएम ने आगे कहा कि क्या बीजेपी नेताओं की कोई इज्जत है, सम्मान है? हम पैसे दे रहे हैं, फिर भी वह चावल नहीं दे रहे हैं। वे गरीब विरोधी हैं। वे निजी प्लेयर्स को चावल बेचने के लिए तैयार हैं। वे चावल हमें बेचने से इनकार करते हैं। यह क्या दर्शाता है?
बेंगलुरु में अपने गृह कार्यालय, कृष्णा में पत्रकारों से बात करते हुए, सिद्दारमैया ने कहा कि केंद्र सरकार गरीबों को चावल उपलब्ध कराने में राजनीति कर रही है। क्या केंद्र सरकार चावल उगाएगी? क्या उनके पास धान के खेत हैं? चावल राज्यों से खरीदा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं। हम एक संघीय ढांचे में हैं। हमें आपस में सहयोग करना चाहिए। केंद्र को टैक्स कहां से मिलता है। राज्यों से ही टैक्स मिलता है, तो उन्हें सहयोग करना चाहिए।
सीएम ने कहा कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना ने कहा है कि चावल का स्टॉक नहीं है। छत्तीसगढ़ में 1.5 लाख टन चावल है और यह केवल एक महीने के लिए प्रदान करेगा। राज्य को 2.28 लाख मीट्रिक टन की जरूरत है। पंजाब में भी चावल नहीं मिलता। एफसीआई ने 7 जून को कहा था कि वह चावल मुहैया कराएगा। 12 तारीख को वे 7 लाख टन चावल देने पर सहमत हुए। मैंने व्यक्तिगत रूप से एफसीआई के उप महाप्रबंधक को फोन किया और वह सहमत हो गए। लेकिन, 14 जून को हमें एक पत्र मिला जिसमें आपूर्ति से इनकार किया गया। सीएम ने सवाल किया कि इसे राजनीति कहना चाहिए ना?
उन्होंने कहा कि पैसे के बदले चावल मुहैया कराने के लिए भाजपा राजनीति कर रही है, भाजपा साजिश रच रही है। हम नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ), केंद्रीय भंडार से कोटेशन ले रहे हैं और देखते हैं कि वे कितना प्रदान कर सकते हैं।
--आईएएनएस