DW फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित किए गए पत्रकार और एक्टिविस्ट

Update: 2022-05-06 14:19 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : सऊदी ब्लॉगर रईफ बदावी ने सालों तक अपने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. वह अपने ब्लॉग में राजनैतिक और समाजिक समस्याएं उठाते थे. 2012 में उन्हें इस्लाम, धार्मिक नेताओं और राजनेताओं का अपमान करने का आरोपी बनाया गया. इस जुर्म के लिए उन्हें 2014 में 10 साल की कैद और 1,000 कोड़ों की सजा सुनाई गई (आज तक 50 लग चुके) और भारी जुर्माना लगाया गया था.

मार्च 2022 में उन्हें रिहा कर दिया गया.तुर्की के प्रमुख अखबार हुर्रियत के पूर्व मुख्य संपादक सेदात एरगिन को 2016 का फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड मिला था. उस वक्त उन पर राष्ट्रपति एर्दोवान के कथित अपमान के लिए मुकदमा चल रहा था. अवॉर्ड स्वीकार करते हुए एरगिन ने कहा था कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानवता के सबसे आधारभूत मूल्यों में से है. यह समाज में हमारे अस्तित्व का अटूट हिस्सा है."व्हाइट हाउस कॉरेसपॉन्डेंट्स एसोसिएशन' को फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. डॉयचे वेले महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग ने एसोसिएशन के अध्यक्ष जेफ मेसन को यह पुरस्कार दिया था. इस मौके पर लिम्बुर्ग ने कहा, "हम इस अवॉर्ड को अमेरिका और दुनियाभर में आजाद प्रेस के सम्मान, समर्थन और प्रोत्साहन के निशान के तौर पर देखते हैं जो अमेरिकी राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) और उनकी नीतियों पर रिपोर्टिंग करते हैं."
डॉयचे वेले का 2018 का फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड ईरान के राजनीतिज्ञ सादेग जिबाकलाम को दिया गया था. उस वक्त अपने देश के राजनीतिक हालात के खिलाफ बोलने के लिए उन पर जेल की सजा की तलवार लटक रही थी. जिबाकलाम कट्टरपंथियों के साथ अपनी तीखी बहसों के लिए जाने जाते हैं और वे घरेलू और विदेश नीति से जुड़े मामलों पर सरकार के रुख की आलोचना करते रहे हैं.मेक्सिको की खोजी पत्रकार अनाबेल हेर्नाडेज को 2019 का डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड दिया गया था. वह भ्रष्टाचार, सरकारी कर्मियों और ड्रग कार्टल्स के आपसी संबंधों की जांच-पड़ताल करती हैं. 2010 में आई उनकी किताब "लोस सेनेरेस डेल नारको"(नार्कोलैंड) में उन्होंने इन गैर-कानूनी संबंधों की पड़ताल की थी. इस वजह से उन पर हमलों की कोशिश भी हुई है. अनाबेल अब यूरोप में निर्वासित जीवन जी रही हैं.
2020 में कोरोना वायरस के बारे में फैली फर्जी जानकारियों की सच दुनिया के सामने लाने के लिए 14 देशों के 17 पत्रकारों को फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड 2020 से नवाजा गया था. इसमें भारत के पत्रकार और 'द वायर' वेबसाइट के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन भी थे.नाइजीरिया की खोजी पत्रकार तोबोरे ओवुरी को 2021 का डीडब्ल्यू अवॉर्ड दिया गया था. ओवुरी करीब 11 साल से पेशेवर पत्रकार हैं. उन्होंने कई साल छानबीन के बाद एक सेक्स वर्कर का रूप धरा और नाइजीरिया में सेक्स ट्रैफिक रैकेट्स का पर्दाफाश करने के लिए अपनी पहचान छिपाकर काम किया. 2014 में उनकी सबसे मशहूर रिपोर्ट छपी थी. उनके खुलासे के बाद देश के अधिकारियों ने जांच शुरू की थी.
डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड 2022, फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट एवगिनी मलोलेत्का और एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकार मिस्तेस्लाव चेर्नोव को दिया गया है. दोनों पत्रकारों ने यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियोपोल की तबाही और रूसी कब्जे की तस्वीरें और वीडियो दुनिया को दिखाए हैं. AP में प्रकाशित उनकी रिपोर्ट "मारियोपोल में 20 दिन" यूक्रेन युद्ध से तबाह हुए शहर को करीब से दिखाती है.
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