झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास पर झामुमो ने लगाया बड़ा आरोप, झामुमो के बयान से झारखंड की राजनीतिक गरम

हेमंत सरकार के दो साल के कार्यकाल पर सोमवार को सवाल उठाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ मंगलवार को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने घेराबंदी की।

Update: 2022-01-11 16:16 GMT

हेमंत सरकार के दो साल के कार्यकाल पर सोमवार को सवाल उठाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ मंगलवार को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने घेराबंदी की। मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत सरकार ने कोरोना काल में दीदी किचन और थानों में भोजन की व्यवस्था कर किसी को भूख से मरने नहीं दिया। रघुवर दास जब मुख्यमंत्री थे, तब उनके पांच साल के शासनकाल में संतोषी सहित 26 लोगों की भूख से मौत हुई। राज्य में 16 किसानों ने आत्महत्या की और उन्मादी भीड़ हिंसा की 18 घटनाएं हुई।

झामुमो ने रघुवर दास पर लगाया आरोप
झामुमो ने रघुवर दास से पूछा है कि वे मुख्यमंत्री रहते सिंगापुर, दुबई और लासवेगास क्यों गये थे? झामुमो महासचिव ने कहा कि मोमेंटम झारखंड में हाथी उड़ाया गया। रोजगार के नाम पर युवाओं को कपड़े धोने के लिए मैसूर, एटीएम का गार्ड बनाकर पुणे और कईयों को घरों में पोछा लगाने के नाम पर नागपुर भेज दिया। पत्थलगड़ी की परंपरा निभाने वाले आदिवासियों पर देशद्रोह का मुकदमा किया गया। जामताड़ा थाना में हिरासत में मौत हुई। हजारीबाग और जमशेदपुर कोर्ट में खुलेआम हत्याएं हुई। बकोरिया में निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली बताकर मौत के घाट उतार दिया गया। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पडऩा। खुद रघुवर पराजित हो गए।
बीजेपी ने रघुवर दास को झारखंड से बाहर रखने की कोशिश की-झामुमो
उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि रघुवर दास हेमंत सरकार के काम की तारीफ करें, लेकिन वे गलत तथ्य देकर लोगों को भ्रमित करने से बाज आएं। रघुवर दास को भाजपा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इसलिए बनाया है कि वे झारखंड के बाहर रहें। राज्य में 30 वर्षों तक भाजपा का कोई नाम लेने वाला नहीं रहेगा।
शराबबंदी के पक्ष में झामुमो
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा सैद्धांतिक तौर पर शराबबंदी का पक्षधर है। सिमडेगा में भीड़ की हिंसा मामले में जांच के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने जांच एजेंसियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई, इडी जैसी संस्थाओं की भूमिका विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में स्पष्ट देखी जा सकती है।


Tags:    

Similar News

-->