अपनी जमीन बचाने के लिए तीर चलाना सिख रहे ग्रामीण
राजधानी के मेसरा इलाके में तीर-धनुष चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग देने वाले दो लोग हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी के मेसरा इलाके में तीर-धनुष चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग देने वाले दो लोग हैं. एक लोकल तो दूसरे दुमका से आये हैं. ट्रेनिंग लेने वाले मेसरा क्षेत्र के ही ग्रामीण हैं. इस ट्रेनिंग का मकसद क्या है? मकसद है-उलगुलान. भला क्यों? क्योंकि इन्हें (ग्रामीणों को) अपनी जमीन बचानी है. वह भला क्यों? क्योंकि बीआईटी मेसरा प्रबंधन मानता है कि जिस जमीन पर ये लोग रह रहे हैं, वह उसकी है. वह उन ग्रामीणों को वहां से हटाना चाहता है और अपना विस्तार करना चाहता है. यह बात गांव वालों को मंजूर नहीं. इसकी मुखालफत करने के लिए गांव के बच्चे, महिलाएं, पुरुष हर दिन तीर धनुष चलाने की बीरिकियां सीख रहे हैं, ताकि अपने पूर्वजों की जमीन बचा सकें. यह उस झारखंड में हो रहा है, जहां सीएनटी (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम) और एसपीटी (संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम) जैसे सख्त कानून के साथ-साथ पांचवी अनुसूची का भी प्रावधान है.