किसी दूसरे जगह बसाया जाएगा मंडल डैम के डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों को
देशभर में चर्चित मंडल डैम (Mandal Dam) के डूब क्षेत्र के ग्रामीणों ने बसने के लिए छह इलाकों को चिन्हित किया है. यह इलाके गढ़वा और पलामू में शामिल हैं.
जनता से रिश्ता। देशभर में चर्चित मंडल डैम (Mandal Dam) के डूब क्षेत्र के ग्रामीणों ने बसने के लिए छह इलाकों को चिन्हित किया है. यह इलाके गढ़वा और पलामू में शामिल हैं. मंडल डैम (Mandal Dam) डूब क्षेत्र के ग्रामीणों की बड़ी बैठक हुई है. बैठक में है डूब क्षेत्र के ग्रामीणों ने बसने के लिए अच्छे इलाकों को चिन्हित किया है, सरकार के अनुमति मिलने के बाद विस्थापित परिवार इस इलाके में बस सकते हैं. 5 जनवरी 2019 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) ने मंडल डैम के अधूरे कार्यों को पूरा करने की योजना को शिलान्यास किया था. प्रधानमंत्री के शिलान्यास के तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है.
1015 परिवारों को मुआबजा देने की हो रही है मांग
जिस वक्त परियोजना शुरू हुई थी उस दौरान 1015 परिवारों को डूब क्षेत्र में चिन्हित किया गया था. डैम की हाइट कम होने के बाद 235 परिवारों को इससे अलग कर दिया गया है. पूरे मामले को लेकर कुटकु विस्थापन संघर्ष समिति सरकार से कई बिंदुओं पर मांगें रख रही है. समिति का साफ तौर पर कहना है कि डूब क्षेत्र में आने वाले सभी 780 परिवारों के साथ 235 छूटे हुए परिवारों को भी मुआवजा दिया जाए. संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप तिर्की का कहना है कि डूब क्षेत्र में आने वाले सभी परिवारों को मुआवजा दिया जाए, क्योंकि यह इलाका टाइगर प्रोजेक्ट का है और डूब क्षेत्र में आने वाले परिवारों को एकमुश्त 15 लाख रुपये भुगतान का आश्वासन दिया गया है. मंडल डैम से डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों ने विस्थापन के लिए मायाखुर, बान्दू, बाघोमार, बिराजपुर, चियांकि, पोलपोल, औरंगा नदी का किनारा को देखा है.