मुआवजे के नाम पर हेराफेरी
एनटीपीसी की पंकरी बरवाडीह कोयला परियोजना में पहले तो जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा देने के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी हुई. जब जवाब देने की बारी आयी तो एनटीपीसी के अफसर राज्य सरकार के अफसरों-कर्मचारियों पर जिम्मेवारी डालते हुए खुद की गलती से बचने की कोशिश करते रहे. परियोजना से कोयला खनन शुरू करने के लिए एनटीपीसी ने एमडीओ त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका दे दिया. कंपनी बिना फॉरेस्ट क्लियरेंस के ही नाले की 100 एकड़ जमीन से कोयला खनन करती रही लेकिन सबने चुप्पी साधे रखी. न तो एनटीपीसी के अफसरों ने रोका-टोका और न पुलिस-प्रशासन के अफसरों ने. नतीजतन कंपनी फॉरेस्ट क्लियरेंस की शर्तों की अनदेखी कर जल, जंगल, जमीन के साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती रही.
जब सब मैनेज तो खौफ कहां
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कंपनी द्वारा नियमों की अनदेखी कर बड़े पैमाने पर लगभग 100 एकड़ नाले की जमीन खोद कर कोयला निकाला जाता रहा लेकिन नेता, अफसर, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी चुप्पी साधे रहे. उनकी इस रहस्मय चुप्पी से गड़बड़ी की बू आती है. ग्रामीण कहते हैं कि जिस नाले को खोद कर बर्बाद कर दिया गया, उसके पानी से उनके खेतों की सिंचाई हुआ करती थी. अब सिंचाई के अभाव में उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं. ऐसा नहीं कि कंपनी अपने बलबूते अवैध काम कर रही है. अवैध खनन में एनटीपीसी के अफसरों, स्थानीय पुलिस-प्रशासन, नेता, बिचौलियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता.
धरना-प्रर्दशन बना धंधा, आंदोलन आमदनी का जरिया : अनिरुद्ध कुमार
एनटीपीसी परियोजना में नियम-कानून की अनदेखी कर मनमानी किए जाने के खुलासे के बाद अधिवक्ता सह एक्टिविस्ट अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि पहले कंपनी और जिला-प्रशासन के लोक लुभावन वादों में कुछ लोग फंस गए और क्षेत्र की बर्बादी का खेल शुरू हो गया. फिर राजनेताओं द्वारा हक-अधिकार और रोजगार के नाम पर आंदोलन खड़ा किया गया. भोले-भाले ग्रामीण नेताओं के झांसे में फंस गए. ग्रामीणों पर गोलियां चलीं. उन्हें मुकदमों में फंसाया गया. धरना-प्रदर्शन को धंधा और आंदोलन को आमदनी का जरिया बनाकर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया. चार लोग मारे गए, छह लोग घायल हुए. सैकड़ों पर मुकदमा दर्ज हुआ. सबको उनके हाल पर छोड़ दिया गया.
मामला कोर्ट पहुंचा, तो खनन कंपनी सहित सारे अफसर फंसे: नवेंदु कुमार
हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता नवेंदु कुमार कहते हैं कि जिस तरह की अनियमितताओं के मामले सामने आ रहे हैं, वे सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट व एनजीटी के निर्देशों और विभागीय नियमों के खिलाफ हैं. स्थानीय प्रशासन भले ही मामला दबाने की कोशिश करे, लेकिन जैसे ही मामला कोर्ट पहुंचेगा, खनन कंपनी सहित सारे के सारे अफसरों की परेशानी बढ़ेगी और उनके लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा. तालाब संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील संख्या 4787/2001, हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी मामले में निर्देश दिया था कि तालाबों पर अवैध कब्जे/अतिक्रमण नहीं हो सकते. यह पर्यावरण एवं जल संचयन का महत्वपूर्ण स्रोत है. जगपाल सिंह व अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य मामले में सिविल अपील संख्या 1132/2011 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे फैसले पारित किये हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और विभिन्न राज्यों के हाईकोर्ट द्वारा जल स्रोतों के संरक्षण के लिए तालाबों, नदियों,नालों व अन्य जल स्रोतों के संरक्षण के लिए निर्देश जारी किये हैं.
मंगलवार के अंक में शुभम संदेश ने खुलासा किया था कि कैसे देश को रौशन करने वाली कंपनी परियोजना क्षेत्र के जल, जंगल, जमीन को बर्बाद कर अंधेरे में धकेल रही है. जमीन अधिग्रहण से लेकर परियोजना संचालन तक हर कदम पर नियम-कानूनों का अनदेखी की है. एनटीपीसी की माइन डेवलपर ऑपरेटर त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा दुमुहानी नाला को बर्बाद कर अवैध खनन करने के खुलासे के बाद शुभम संदेश को अब क्षेत्र में जलश्रोतों का अतिक्रमण कर उसे नष्ट करने के कारनामों की जानकारी मिली है. एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह परियोजना अंतर्गत एरिया के डाडीकला, लबनिया तालाब और राजा आहर तालाब समेत कई जलश्रोतों पर त्रिवेणी सैनिक द्वारा ओवर बर्डन गिरा कर प्रदूषित किया जा रहा है.