तीन दर्जन वार्ड ब्वॉय बहाल, मरीज के परिजन ने खुद खींचा स्ट्रेचर

Update: 2023-06-16 11:46 GMT

Hazaribagh : हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन दर्जन वार्ड ब्वॉय बहाल हैं, फिर भी मरीजों को वार्ड या अन्य जगहों पर ले जाने में काफी परेशानी होती है. मरीज के परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचना पड़ता है. मरीज के परिजनों का कहना है कि हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्टाफ मनमर्जी से काम करते हैं. जिस काम के लिए उन्हें रखा गया है, उसमें भी सहयोग नहीं करते हैं. पहले यहां छह वार्ड ब्वॉय थे. कमी को देखते हुए जनवरी में डीडीसी सह अस्पताल प्रशासक ने 28 वार्ड ब्वॉय को बहाल किया. इस तरह अस्पताल में 34 वार्ड ब्वॉय बहाल हो गए. उसके बाद भी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ.

लगातार दो दिनों तक ऐसे मामले सामने आए, जब परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचकर मरीज को ले जाना पड़ा. अस्पताल में 13 जून को भर्ती चौपारण के दुरागढ़ा निवासी जगन बिरहोर की 15 वर्षीय पुत्री पूजा कुमारी का पैर टूट गया था. वह कुएं में गिर गई थी. उसे ट्रामा सेंटर पर बुलाकर बैंडेज किया गया. इस दौरान उसके माता–पिता को स्ट्रेचर खींचकर ले जाना पड़ा. वे लोग स्ट्रेचर चलाना भी नहीं जानते थे. बगल में भर्ती इटखोरी के एक मरीज के परिजन बिहारी भुइयां ने उन्हें सहयोग किया, लेकिन वार्ड ब्वॉय ने उनकी नहीं सुनी.

कदम–कदम पर पैसे मांगे जाने का आरोप

दीपूगढ़ा की महिला सविता देवी ने बताया कि सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिला है. यहां दूर–दूर से लोग इलाज के लिए आते हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं मिल पाती है. किसी से पूछो, तो वह रास्ता बताने का भी पैसा मांगता है.

विष्णुगढ़ से आए सुरेश राम ने बताया कि उम्र प्रमाण पत्र के लिए भी सदर अस्पताल के कर्मी ने ₹500 मांगे. जब ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड से इस संबंध में बात की, तो उसने भी सलाह दी कि चढ़ावा देकर बनवा लो. यहां तक की सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भी इलाज के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं. इसके अलावा मरीज की छुट्टी होने के बाद होमगार्ड भी पैसे वसूल रहे हैं.

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