रांची: मनरेगा एवं माइनिंग घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की कार्रवाई के चलते जेल में बंद निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ अब राज्य सरकार भी भ्रष्टाचार का मुकदमा करेगी। राज्य सरकार के विधि विभाग ने सिंघल एवं अन्य अफसरों पर एफआईआर दर्ज करने का परामर्श दिया है।
पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) की धाराओं के तहत जो प्रावधान हैं, उसके मुताबिक विधि विभाग की राय मिलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूर्व खनन सचिव पूजा सिंघल और अन्य के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देने को बाध्य होंगे। गौरतलब है कि इसी मामले में ईडी खुद मुख्यमंत्री सोरेन से भी पूछताछ कर चुकी है।
ईडी ने राज्य सरकार को मनरेगा घोटाला एवं माइनिंग स्कैम को लेकर राज्य सरकार से अपनी रिपोर्ट साझा करते हुए कहा था कि पूजा सिंघल एवं अन्य अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करना उचित होगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिंघल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए एफआईआर दर्ज करने को कहा था। इसपर सरकार ने अपने विधि विभाग से परामर्श मांगा था।
बता दें कि ईडी ने झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा घोटाले की जांच के बाद इससे संबंधित पहली रिपोर्ट नवंबर 2022 में राज्य सरकार को भेजी थी। ईडी की इस रिपोर्ट के आधार पर पूजा सिंघल, सीए सुमन कुमार और छह जिला खनन पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी है।
ईडी ने मनरेगा घोटाले में प्रथम चरण की जांच पूरी करने के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद जांच में मिले तथ्यों और कोर्ट में पेश आरोप पत्र की कॉपी राज्य सरकार को भेजी। साथ ही सीए सुमन कुमार, पाकुड़ के जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप कुमार, दुमका के जिला खनन पदाधिकारी कृष्ण कुमार किस्कू, साहिबगंज के जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार, रामगढ़ जिला खनन पदाधिकारी नितेश कुमार गुप्ता, पश्चिम सिंहभूम के जिला खनन पदाधिकारी निशांत अभिषेक और खूंटी के जिला खनन पदाधिकारी नदीम शाफी से संबंधित ब्योरा भी राज्य सरकार के साथ साझा किया था।