वन विभाग की अनदेखी के कारण चंदन का बगीचा हुआ वीरान, मिलीभगत से होती रही लकड़ियों की चोरी
चंदन का बगीचा हुआ वीरान
लोहरदगा: जिला में एक चंदन की बगिया दी थी. कुड़ू प्रखंड के टाटी गांव में स्थिति वन विभाग के सामाजिक वानिकी शाखा के तहत इसका निर्माण किया गया था, पर आज चंदन की बगिया उजड़ (Sandalwood garden destroyed) चुकी है. जानिए क्या है इसके पीछे की वजह.
चंदन के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा, शायद आप लोगों में से कई लोगों ने इसे देखा भी होगा. चंदन वह लकड़ी है, जो सबसे कीमती लकड़ियों में से एक होती है. इसके पीछे वजह है सुगंध और इसका उपयोग. चंदन की लकड़ियों का ज्यादातर उपयोग पूजा अनुष्ठान और महंगे सजावटी सामान में किया जाता है. यही कारण है कि यह काफी ज्यादा महंगा भी होता है, परंतु क्या आपने चंदन की बगिया के बारे में सुना है. जी हां, लोहरदगा में ऐसा ही एक बगीचा था, था इसलिए क्योंकि वन विभाग की अनदेखी (sandalwood garden overlook) और चोरों की कुदृष्टि की वजह से आज ये बगिया पूरी (garden destroyed in Lohardaga) तरह से उजड़ चुकी है.
वन विभाग ने फेरी नजरें-चोरों ने किया हाथ साफः जिला के कुड़ू प्रखंड के टाटी गांव में वन विभाग के सामाजिक वानिकी शाखा (Social Forestry Branch) द्वारा वर्ष 2001-02 में लगभग ढाई हेक्टेयर में पौधशाला का निर्माण किया गया था. इस पौधशाला में चंदन के पौधे उगाए जाते थे. यहां पर तैयार होने वाले चंदन के पौधों को अलग-अलग स्थान पर भेजकर उन्हें लगाने का काम किया कर जाता था. देखते ही देखते कुछ वर्षों में यहां पर दर्जनों चंदन के पेड़ विकसित हो गए. इन चंदन के पेड़ों पर चोरों की कुदृष्टि पड़ गई और लगातार चोरी की कई घटनाएं हुईं.
चोर काट ले गए चंदन की लकड़ी
एक-एक कर सारे चंदन के पेड़ समाप्त हो गए. ज्यादातर मामलों में तो कोई कार्रवाई भी नहीं हुई. एक मामले में गिरफ्तारी हुई तो पता चला कि पौधशाला का गार्ड ही चोरों के साथ मिला हुआ था. उस गार्ड को बर्खास्त कर दिया गया, पर इसके बाद भी चोरी नहीं रुकी. लगातार चोरी की घटनाएं होती रही और चंदन की यह बगिया उजड़ गई. इसके बाद वन विभाग ने आवंटन के अभाव में इस पौधशाला पर ध्यान देना ही बंद कर दिया. धीरे-धीरे यह पद पौधशाला पूरी तरह से खत्म हो गई. कभी यहां पर कई क्वार्टर थे, वन विभाग के कर्मचारी रहा करते थे, चंदन की बगिया लहलहाती थी. चंदन की सुगंध से पूरा वातावरण महक उठता था. लेकिन धीरे-धीरे यह चंदन की बगिया अब खत्म हो गई. आवंटन के अभाव में वन विभाग (Lohardaga Forest Department) ने भी अब इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है.