झारखंड की सियासत के लिए अगस्त महीना बेहद अहम, CM हेमंत सोरेन के सामने कई मुश्किलें
झारखंड की राजनीति के लिए अगस्त महीना अहम है। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद बढ़ी सियासी सरगर्मी अगले महीने भी जारी रहने की संभावना है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड की राजनीति के लिए अगस्त महीना अहम है। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद बढ़ी सियासी सरगर्मी अगले महीने भी जारी रहने की संभावना है। शुरुआत अगस्त के पहले सप्ताह से ही हो जाएगी। एक ओर मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूछताछ शुरू करेगा। दूसरी ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ द प्रॉफिट मामले में केंद्रीय निर्वाचन आयोग में सुनवाई भी पहले ही सप्ताह में होनी है।
ईडी ने मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद को पूछताछ के लिए समन किया है। उनसे एक अगस्त को जोनल ऑफिस में उपस्थित होने के लिये कहा गया है। इसके पहले मुख्यमंत्री की ओर से दायर याचिका की सुनवाई 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी। मुख्यमंत्री के करीबियों की शेल कंपनियों से जुड़े और मनरेगा घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई 29 जुलाई को झारखंड हाईकोर्ट में होगी।
खनन लीज मामले में चुनाव आयोग में सुनवाई पांच को
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पर खनन लीज से जुड़े मामले में भारत निर्वाचन आयोग में सुनवाई पांच अगस्त को होनी है। पिछली तारीख पर 14 जुलाई को मुख्यमंत्री ने आयोग के समक्ष वकील के जरिए अपना पक्ष रखा था। सीएम की तरफ से कहा गया कि उनपर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-9 ए लागू नहीं होती। उनकी तरफ से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के अनेक फैसले हैं, जिसमें कहा गया है कि लाभ का पद उनपर लागू नहीं होगा। बाद में भाजपा नेता की मांग पर आयोग ने सुनवाई पांच अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
बसंत सोरेन मामले में सुनवाई चार अगस्त को
एक अन्य मामले में दुमका से झामुमो विधायक और मुख्यमंत्री के छोटे भाई बसंत सोरेन के खिलाफ भाजपा नेताओं की शिकायत के मामले में चुनाव आयोग के समक्ष चार अगस्त को सुनवाई होगी। बसंत के मामले में 15 जुलाई को सुनवाई होनी थी, पर अब चार अगस्त को निर्धारित की गई है। भाजपा ने राज्यपाल से बसंत सोरेन के खिलाफ शिकायत की है कि वह चंद्र स्टोन वर्क्स में पार्टनर और ग्रैंड माइनिंग कंपनी में साझीदार हैं। उनकी यह साझेदारी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-9ए के तहत विधायकी से अयोग्यता के दायरे में आती है।