झारखंड के साहित्यकार गिरधारी राम गोंझू को भारत सरकार ने दिया मरणोपरांत पद्मश्री
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत, पूर्व सीएम कल्याण सिंह तथा विद्वान राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत तथा कला के क्षेत्र में प्रभा अत्रे सहित चार विभूतियों को पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया है।
झारखंड के साहित्यकार और क्षेत्रीय भाषाओं के विद्वान गिरधारी राम गोंझू समेत 117 हस्तियों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। पद्मश्री पाने वालों में ओलंपिक में स्वर्ण विजेता रहे नीरज चोपड़ा भी शामिल हैं। केंद्र ने कुल 17 विभूतियों को पद्म भूषण से सम्मानित किया है जबकि 117 हस्तियों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। पद्मश्री से नवाजे जाने वालें में ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ भी शामिल हैं।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, प्रसिद्ध अभिनेता विक्टर बनर्जी, गूगल के सीईओ सुंदर राजन पिचई, साइरस पूनावाला सहित 17 विशिष्ट लोगों को पद्मभूषण दिया गया है।
डॉ गोंझू की रचना में झलकती थी झारखंड की संवेदना
झारखंड के प्रमुख रचनाकारों में डॉ गिरधारी राम गोंझू गिरिराज का नाम शुमार था। वह हिंदी और नागपुरी भाषा के मर्मज्ञ थे। उनकी रचना में झारखंड की संवेदना सहज ही झलकती थी। 5 दिसंबर 1949 को बेलवादाग खूंटी जिला में जन्मे डॉ गिरधारी राम गोंझू का जीवन संघर्षपूर्ण था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा खूंटी में करने के पश्चात एमए, बीएड, एलएलबी व पीएचडी की शिक्षा दीक्षा ली। उनकी प्रकाशित रचनाओं में कोरी भइर पझरा, नागपुरी गद तइरंगन, खुखड़ी- रूगड़ा सहित अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में उनकी लिखनी प्रकाशित होती रही हैं। न् अखरा निंदाय गेलक नाटक रचना झारखंड के ज्वलंत समस्या पलायन जैसे संवेदनशील विषय को लेकर प्रकाशित किया गया था।