देवघर में श्रावणी मेला आज से, वीआईपी और वीवीआईपी दर्शन पूर्णरूप से बंद रहेंगा
राजकीय श्रावणी मेला-2022 का उद्घाटन बुधवार को कांवरिया पथ के झारखंड में प्रवेश द्वार दुम्मा में विधिपूर्वक किया गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजकीय श्रावणी मेला-2022 का उद्घाटन बुधवार को कांवरिया पथ के झारखंड में प्रवेश द्वार दुम्मा में विधिपूर्वक किया गया। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला गुरुवार से शुरू हो रहा है। राज्य के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने किया। राजकीय श्रावणी मेले का विधि-विधानपूर्वक शुभारंभ कराने के लिए 11 वैदिक-पुरोहितों द्वारा बाबा वैद्यनाथ की पूजा की गई।
पूजा समाप्ति के उपरांत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर व सुल्तानगंज के गंगाघाट से कांवर लेकर आने वाले एक कांवरिया से फीता कटवाकर कार्यक्रम का शुभारंभ कराया गया। प्रशासन की ओर से यह जानकारी दी गई कि श्रावणी मेला के दौरान वीआईपी, वीवीआईपी और आउट ऑफ टर्न दर्शन पूर्ण रूप से बंद रहेगा। मौके पर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवायी में सभी को मिलकर बाबा के भक्तों का स्वागत करना है।
कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष के बाद मेले का आयोजन हो रहा है। ऐसे में दोगुना कांवरियों व श्रद्धालुओं की आने की संभावना है। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत डीडीसी डॉ. कुमार ताराचंद ने स्वागत भाषण के साथ की। स्वागत भाषण में उप विकास आयुक्त ने कृषि मंत्री के साथ सांसद व अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए मेला में किए गए प्रशासनिक व नागरिक सुविधाओं से संबंधित व्यवस्थाओं का परिचय दिया। कार्यक्रम के अंत में जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संताल परगना डीआईजी सुदर्शन भगत, पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट, अनुमंडल पदाधिकारी अभिजीत सिन्हा, परमेश्वर मुंडा, विवेक मेहता, झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह थे।
श्रद्धालुओं को मिले पूरी सुविधा: सांसद
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि पिछले दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से बाबानगरी में श्रावणी मेले का आयोजन नहीं होने के कारण इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। अब इस वर्ष श्रावणी मेला का आयोजन होने से सबों को इसका लाभ मिलेगा। दो वर्षों के बाद लगने वाले श्रावणी मेले में इस वर्ष काफी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
बिहार के भागलपुर जिलांतर्गत सुल्तानगंज के गंगाघाट से लेकर बाबा वैद्यनाथ की नगरी तक 108 किलोमीटर लंबी यात्रा के क्रम में बिहार के भागलपुर, मुंगेर व बांका के अलावा झारखंड के देवघर जिला का हिस्सा पड़ता है। विश्वप्रसिद्ध मेले के आयोजन से बिहार-झारखंड के चारों जिलों के लोगों को फायदा मिलता है। कांवरिए सुल्तानगंज से जल लेकर बाबा वैद्यनाथ पर जलार्पण करने के लिए पहुंचते हैं।
कम से कम चार-पांच दिनों की कांवर यात्रा में हर दिन भाग लेने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की सेवा के लिए देशभर की संस्थाएं व संगठन से जुड़े लोग भी मदद को उतरते हैं। कहा कि प्रधानमंत्री ने भी मंगलवार को अपने देवघर दौरे के क्रम में श्रावणी मेला शुरू होने को लेकर शिवभक्तों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने देवघर के अभूतपूर्व कार्यक्रम को लेकर पुलिस प्रशासन की टीम को विशेष तौर पर धन्यवाद दिया है।