सरायकेला : इस वर्ष मानसून की बेरुखी का असर झेल रहे जिले के मत्स्य पालक
इस वर्ष मानसून की बेरुखी का असर जिले के मत्यस्य पालकों पर भी पड़ा है. निर्धारित लक्ष्य के 40 प्रतिशत ही नए जीरे स्थानीय तालाबों में छोड़े जा सकते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस वर्ष मानसून की बेरुखी का असर जिले के मत्यस्य पालकों पर भी पड़ा है. निर्धारित लक्ष्य के 40 प्रतिशत ही नए जीरे स्थानीय तालाबों में छोड़े जा सकते हैं. इस संबंध में सरायकेला जिला मुख्यालय के प्रगतिशील मत्स्य पालक सह मछुआ मत्स्यजीवी सहयोग समिति सरायकेला के अध्यक्ष कृष्णा कैवर्त के अनुसार इस वर्ष मछली व्यवसाय पर आश्रित लोगों पर दूरगामी संकट उत्पन्न हुआ है. मछली जीरा के कारोबार पर संकट के साथ ही मछली पालन व्यवसाय से जुड़े लोग भी प्रभावित हो रहे हैं.
पूर्व की अपेक्षा काफी कम मात्रा में मछली पालक छोड़ रहे हैं स्पॉन
जून महीने से ही मछली पालक अपने तालाबों को दुरुस्त करने व मछली जीरा छोड़ने की तैयारी कर लेते हैं. पूरे जुलाई महीने वे इसी कार्य में लगे रहते हैं. लेकिन इस वर्ष असमय हुई वर्षा ने मछली पालन व्यवसाय को बहुत अधिक प्रभावित किया है. मत्स्य पालकों को सही समय पर पानी के अभाव में मछली जीरा स्टॉक करने में भी सफलता नहीं मिली है. वहीं, अगस्त महीने में हुई बारिश के बाद मछली पालक स्पॉन छोड़ रहे हैं, पर पूर्व की अपेक्षा काफी कम मात्रा में. इसका असर व्यवसाय से जुड़े लोगों के रोजगार पर तो पड़ेगा ही साथ ही आने वाले समय में लोकल उत्पादित ताजा मछली की उपलब्धता भी बाजार में कम रहेगी.a