बोकारो में बंगाल के चालान के भरोसे ग्रामीण पेयजलापूर्ति प्रोजेक्ट

बोकारो में बालू घाट नहीं है. जिले में कई बड़ी परियोजनाओं का धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रहा है.

Update: 2024-04-03 07:23 GMT

बोकारो : बोकारो में बालू घाट नहीं है. जिले में कई बड़ी परियोजनाओं का धड़ल्ले से निर्माण कार्य चल रहा है. इन योजनाओं को बगैर बालू के पूरा कर पाना, नामुमकिन है. ऐसे में जैसे-तैसे अवैध बालू जुगाड़ कर काम निकाला जा रहा है. लेकिन कहीं से बालू जुगाड़ के बाद मामला माइनिंग चलान पर आकर अटक जाता है. यहां से एक नया मोड़ शुरू हो जाता है. अधिकांश योजनाओं में अवैध रूप से इक्ट्ठा की गई बालू का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, पश्चिम बंगाल के चालान पर बाकी काम भी चलाए जाता है.

चास प्रखंड के 36 पंचायतों में चल रहा काम
बोकारो के चास प्रखंड अंतर्गत ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना को लेकर 230 करोड़ की परियोजना पर निर्माण कार्य जारी है. इस परियोजना में 11 जल मीनार बनाने को लेकर प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धरातल पर काम चल रहा है. इस योजना के तहत 36 पंचायत के 101 गांव में नल-जल की सुविधा उपलब्ध कराई जानी है. इनमें कनारी, चैनपुर, सुनता, पारटांड़, मिर्धा, सोनाबाद, मधुनिया, महुदा सहित अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग 11 जल मीनार तथा वाटर फिल्टर प्लांट निर्माण कार्य हो रहा है. निर्माण कार्य पूरा होते ही 42 हजार नल-जल कनेक्शन दिया जाएगा. इस परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी रॉक ड्रिल इंफ्रास्ट्रक्चर को मिली है. संबंधित कंपनी के प्रोजेक्ट इंचार्ज ने बताया कि यहां बालू घाट नहीं है. इसको लेकर बराकर(पश्चिमी बंगाल) से बालू की ढुलाई की जाती है.
वहीं, मानगो तथा कनारी पंचायत में चल रहे निर्माण कार्य में आसपास क्षेत्र से बालू मैनेज किया जा रहा है. रही बात चालान की तो जहां चालान नहीं मिलता है, उसके एवज में हमें विभाग में फाइन जमा करना पड़ता है.


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