जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरेक मेडिकल कॉलेज को दो ट्रेनिंग सेंटर संचालित करना होता है. एक अर्बन हेल्थ ट्रेनिंग सेंटर(यूएचटीसी) और दूसरा रुरल हेल्थ ट्रेनिंग सेंटर(आरएचटीसी) कहते हैं. हरेक मेडिकल कॉलेज, आरएचटीसी सेंटर, यूएचटीसी सेंटर, रिम्स, आज का झारखंड समाचार, आज की हिंदी खबर, आज की महत्वपूर्ण झारखंड समाचार, ताजा खबर, झारखंड लेटेस्ट न्यूज़, झारखंड न्यूज़, जनता से रिश्ता हिंदी न्यूज़, हिंदी न्यूज़, jantaserishta hindi news, Every medical college, rhtc center, uhtc center, rims, today's jharkhand news, today's hindi news, today's important jharkhand news, latest news, jharkhand latest news, jharkhand news,
का यूएचटीसी का संचालन डोरंडा में होता है. इसकी स्थिति तो ठीक है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होने वाला आरएचटीसी ओरमांझी थाना से महज कुछ ही दूरी पर है. इसकी काफी खराब है. यह सेंटर रिम्स के पीएसएम विभाग के माध्यम से संचालित होता है. लेकिन यहां इलाज की सुविधा न के बराबर है और खुद इस सेंटर को इलाज की जरुरत है.
सेंटर में सिर्फ सर्दी, खांसी और बुखार की दवा
नेश्नल हाईवे-33 पर स्थित आरएचटीसी सेंटर में एक बजे के बाद कोई डॉक्टर नहीं दिखाई नहीं देते. यदि हाईवे पर कोई घटना हो भी जाए तो इस सेंटर में ड्रेंसिग तक की व्यवस्था नहीं है. इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को सर्दी, खांसी और बुखार की दवा भले ही मिल जाए लेकिन आगे की इलाज के लिए उन्हें रिम्स या फिर किसी दूसरे अस्पताल का रुख करना पड़ता है.
अस्पताल भवन की स्थिति जर्जर
आरएचटीसी सेंटर का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. भवन के पहले तल्ले पर स्थित महिला और पुरुष वार्ड में लगी बेड धूल फांक रही है. तो वहीं सीलिंग भी टूट-टूट कर गिर रहा है. छत में सीपेज है. जिस कारण वार्ड में बारिश का पानी जमा हुआ रहता है. वहीं अस्पताल का बाथरुम मात्र दिखावे के लिए है. न तो इसमें लगा नल चलता है और ना ही शौचालय इस्तेमाल के योग्य है.
6 साल से मरम्मत का बांट जोह रहा भवन साल 2016 में भवन मरम्मति को लेकर तत्कालीन निदेशक डॉ. बिएल शेरवाल ने टेंडर निकाला था, लेकिन 6 साल के बाद भी प्रक्रिया कागजों में सिमट कर रह गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रिम्स प्रबंधन और झारखंड का स्वास्थ महकामा किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
सवाल से सहमे सेंटर इंचार्ज
सेंटर इंचार्ज पीएसएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेश कुमार पहले तो बयान देने से कतरा रहे थे. हालांकि उन्होंने कहा कि मरम्मत को लेकर फाइल बढ़ाया गया है, लेकिन किसी तरह का कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है. कायदे से केंद्र को 24 घंटा चलना चाहिए, लेकिन महज तीन से चार घंटा ही केंद्र का संचालन होता है. वहीं अस्पताल परिसर में बाउंड्री वाल भी नहीं है. इसका फायदा लोग उठाते हैं. गाड़ी पार्किंग का ये अड्डा बन चुका है.