सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा, रिम्स के डेंटल इंस्टिट्यूट में करोड़ों का घोटाला
रांचीः राज्य के पहले सरकारी डेंटल इंस्टिट्यूट 'रिम्स डेंटल इंस्टिट्यूट' (RIMS Dental Institute) में डेंटल उपकरण खरीदने के नाम पर नियमों को ताक पर रखकर जमकर वित्तीय अनियमितता हुई है. रिम्स शासी परिषद (RIMS Governing Council) से पारित बजट से कई गुणा अधिक की राशि को खर्च कर बेसिक डेंटल, एडवांस डेंटल चेयर, मोबाइल डेंटल वैन और एक्सरे मशीन की खरीद हुई. वह भी बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर. हैरत की बात यह है कि विभागीय मंत्री द्वारा आपत्ति जताए जाने और अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश देने के बावजूद रिम्स के तत्कालीन निदेशक ने विभागीय मंत्री के आदेश की अवहेलना करते हुए यह खरीद की.
राज्य के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान रिम्स के डेंटल इंस्टिट्यूट (RIMS Dental Institute) के निर्माण के बाद उपकरण खरीद में घोटाले की ओर इशारा करने वाली यह रिपोर्ट सीएजी की है. सोमवार को झारखंड के महालेखाकार अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग (Accountant General of Jharkhand) ने संवाददाता सम्मेलन कर 4 अगस्त 2022 को विधानसभा में प्रस्तुत किये गए CAG की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया.
अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग, महालेखाकार, झारखंड
CAG की जांच रिपोर्ट खुलासा हुआ है कि कैसे राज्य के रिम्स डेंटल इंस्टिट्यूट में BDS की पढ़ाई शुरू होने से पहले डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानक के अनुसार उपकरण खरीद के लिए 2016 में निविदा निकाली गई. फिर जिस एजेंसी को टेंडर फाइनल हुआ उसने कुछ वजह बताकर सप्लाई करने से इंकार कर दिया. नियमतः उस एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करना चाहिए था. परंतु पेनाल्टी और ब्लैक लिस्टेड की जगह दूसरी बार टेंडर में उसे मौका दिया गया. CAG की रिपोर्ट घपले की ओर इसलिए भी इशारा करती है क्योंकि दो आपूर्तिकर्ता कंपनियों में से एक डमी पाई गई और वह जानबूझकर निविदा में ज्यादा रेट डालती थी ताकि दूसरी एजेंसी को ऑर्डर मिल जाये. बाजार मूल्य से काफी अधिक कीमत में हुई खरीदः रिम्स डेंटल इंस्टिट्यूट(RIMS Dental Institute) में सितंबर 2016 से फरवरी 2018 के बीच 110 बीडीसी ( बेसिक डेंटल चेयर),15 एडीसी (एडवांस डेंटल चेयर), 01 मोबाइल डेंटल वैन और 10 आरवीजी (रेडिओविजियोग्राफी प्रणाली) की खरीद में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ. वहीं बिना ऑपेरशन थिएटर शुरू हुए उसकी साफ सफाई के लिए 17 लाख के कीटनाशक की खरीद हुई, जो रखे रखे एक्सपायर हो गया. 1.94 करोड़ के उपकरण ओटी में बेकार पड़े थे, वहीं विलंबित आपूर्ति की वजह से आपूर्तिकर्ता को 2.37 करोड़ रुपये का दंड भी रिम्स प्रबंधन ने नहीं लगाया. ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के कार्यान्वयन में भी करोड़ों रुपये का नुकसानः
झारखंड के महालेखाकार अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग(Accountant General of Jharkhand) ने बताया कि राज्य में ग्रामीण विद्युतीकरण की कई योजनाएं चल रही हैं. उसके लेखा परीक्षण से कई बातें सामने आई हैं. महालेखाकार ने बताया कि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के पास ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं को लेकर कोई डेटाबेस नहीं है. उन्होंने कहा कि फील्ड सर्वेक्षण से यह तथ्य सामने आया है कि टर्न के संवेदकों( TKC) ने पाया कि डीपीआर में 260 विद्युतीकृत और 678 अविद्यमान ग्रामों को शामिल किया गया था, यानि जो गांव अस्तित्व में नहीं थे वहां के लिए योजनाएं स्वीकृत थी. समय पर बिलिंग नहीं होने, प्रोजेक्ट के समय पर पूरा नहीं होने से राज्य को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. राज्य के कई विभागों ने खर्च का नहीं दिया ब्यौराः सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में राजस्व अधिशेष में वृद्धि हुई है और राजकोषीय घाटे में कमी आयी है. लेकिन दूसरी ओर राज्य में 31 मार्च 2021 तक ₹ 88047.48 करोड़ की राशि के 34017 उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) 2020-21 तक विभिन्न विभागों के पास बकाया था. वहीं 31 मार्च 2021 को, 2020-21 तक आहरित AC विपत्र के विरुद्ध भारी मात्रा में 6018.98 करोड़ का डीसी विपत्र (18272) जमा नहीं किया गया है. केंदू पत्ता बिक्री और माल प्रबंधन पर भी रिपोर्ट में है जिक्रः
सीएजी की रिपोर्ट में झारखंड राज्य केंदू पत्ता नीति अथवा अन्य विधाओं में केंदू पत्ता की मात्रा एवम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सूट काटने या अन्य उपयुक्त व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं होने का जिक्र किया गया है. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंदू पत्ता के लिए 40 गोदामों में से सिर्फ 7 गोदाम अच्छे हालत में हैं जबकि बाकी के मरम्मत की जरूरत है.