कानूनी शिकंजे के बीच सोरेन सरकार को राहत, मांडर विधानसभा उपचुनावों में जीत का 'चौका'
मांडर विधानसभा उपचुनाव का जनादेश कांग्रेस की गठबंधन समर्थित प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की के पक्ष में आया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मांडर विधानसभा उपचुनाव का जनादेश कांग्रेस की गठबंधन समर्थित प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की के पक्ष में आया है। सजायाफ्ता पूर्व विधायक बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी ने भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर को 23517 वोटों के अंतर से शिकस्त दी है। 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी गठबंधन की सरकार के करीब ढाई वर्षों के कार्यकाल में चार उपचुनाव हुये हैं और सभी में गठबंधन दल ने जीत हासिल की है।
हेमंत सरकार में अब तक दुमका, बेरमो, मधुपुर और अब मांडर के उपचुनाव में जीत गठबंधन दल ने अपने नाम की है। 2019 विधानसभा चुनाव में दुमका सीट पर झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन, बेरमो से कांग्रेस के उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद, मधुपुर से झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी ने जीत दर्ज की थी। मांडर से झाविमो के सिंबल पर निर्वाचित बंधु तिर्की बाद में कांग्रेस में शामिल हुये। हालांकि आय से अधिक संपत्ति मामले में उनको तीन साल सजा हो गई।
इससे पहले दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव जीतने के कारण हेमंत सोरेन ने दुमका सीट खाली की। जबकि बेरमो से राजेंद्र सिंह और मधुपुर से हाजी हुसैन अंसारी के निधन के कारण उपचुनाव हुये। इन सभी सीटों पर हुये उपचुनावों में सत्तासीन दलों ने जीत दर्ज कर अपना किला सुरक्षित रखने में कामयाबी हासिल की है।
वर्तमान राजनीतिक परिवेश में लगातार जीत से बढ़ा मनोबल
वर्तमान राजनीतिक परिवेश में सत्तारूढ़ दलों ने उपचुनावों में लगातार चौथी बार अपनी जीत दर्ज कर नैतिक संबल हासिल किया है। दूसरी ओर खात नहीं खोल सकी प्रमुख विपक्षी दज भाजपा आत्ममंथन करने को मजबूर है। राज्य में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। मुख्यमंत्री, उनके भाई बसंत सोरेन पर लोक प्रतिनिधित्व एक्ट के तहत केंद्रीय चुनाव आयोग में सुनवाई चल रही है। मंत्री आलमगीर आलम पर ईडी का मामला चल रहा है।
मंत्री मिथिलेश ठाकुर के खिलाफ भी केंद्रीय चुनाव आयोग में शिकायत आधार पर कार्यवाही चल रही है। गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट के तहत न्यायालय के आदेश पर एफआईआर हुई है। विधानसभा उपचुनावों में जीत की हैट्रिक के बाद मांडर उप चुनाव में भी सत्तासीन गठबंधन को विजय हासिल हुई है। इस लगातार चौथी जीत से सत्तासीन दलों में उत्साह है। झामुमो, कांग्रेस और राजद के मंत्री, विधायक खुल कर खुशी का इजहार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से इसे झारखंडी और झारखंडियत की जीत बताई है।
3,54,877 मतदाताओं में से 61.25 ने किया था वोट
मांडर उपचुनाव में गुरुवार को 3,54,877 मतदाताओं में से 61.25 ने मतदान किया था। इस बार 433 बूथों पर वोटिंग हुआ। मतदान के दौरान 239 बूथ से वेब कास्टिंग की गई। शांतिपूर्ण मतदान हुआ। इस चुनाव में 14 प्रत्याशी मैदान में थे। मांडर में 1,79,293 महिला वोटर थीं। 18-19 साल के 4537 नए मतदाता हैं।
झारखंड में पांचवीं बार हुआ विधायकों के सजायाफ्ता होने पर उपचुनाव
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद झारखंड में सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों के कारण अब तक पांच बार विधानसभा उप चुनाव हुये हैं। पहली बार 2015 में लोहरदगा के आजसू विधायक केके भगत को मशहूर चिकित्सक केके सिन्हा के साथ मारपीट और रंगदारी मांगने के मामले में सात साल की सजा हुई थी। इस कारण लोहरदगा विधानसभा के लिये 2015 में उपचुनाव हुआ। इसमें केके भगत की पत्नी शांति नीरू भगत को कांग्रेस प्रत्याशी और प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत को जीत मिली थी।
इसके बाद 2018 में सिल्ली से झामुमो विधायक अमित महतो को एक अधिकारी के साथ मारपीट के कारण जेल हुई दूसरी ओर गोमिया से झामुमो के विधायक योगेंद्र महतो को कोयला चोरी मामले में जेल की जाना पड़ा। दो विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुये और दोनों ही चुनावों में सजायाफ्ता विधायकों सिल्ली के अमित महतो की पत्नी सीमा देवी और गोमिया के विधायक योगेंद्र महतो की पत्नी बबीता महतो ने जीत हासिल की।
पूर्व मंत्री एनोस एक्का को पारा शिक्षक की हत्या कराने के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई गई। उसी साल 2018 के दिसंबर में कोलेबिरा विधानसभा उपचुनाव हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी नमन विक्सल कोंगाड़ी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। पांचवीं बार बंधु तिर्की के सजायाफ्ता होने पर मांडर में उपचुनाव हुआ है। पांचवी बार पूर्व विधायक बंधु तिर्की के सजायाफ्ता होने के कारण उपचुनाव हुआ। इसमें भी सत्तासीन गठबंधन समर्थित कांग्रेस की प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की की जीत हुई।